पूरे साल 24 एकादशी होती है. हर महीने दो एकादशी पड़ती है, एक शुक्ल पक्ष में तो दूसरी कृष्ण पक्ष में. सभी एकादशी में कार्तिक शुक्ल एकादशी का विशेष महत्व होता है.
इसे देवप्रबोधनी एकादशी या देव उठानी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार ये एकादशी 31 अक्टूबर, मंगलवार को पड़ रही है.
क्या है मान्यता?
इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद जागते हैं.तुलसी के पौधे से उनका विवाह होता है. देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह उत्सव भी कहा जाता है. देवउठनी एकादशी के बाद सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार देव जागने के 18 दिन बाद भी कोई वैवाहिक और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है.
क्या है पूजा करने की विधि
तुलसी विवाह के दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन तुलसी जी के साथ विष्णु की मूर्ति रखी जाती है। विष्णु की मूर्ति को पीले वस्त्र से सजाया जाता है. तुलसी के पौधे को सजाकर उसके चारों तरफ गन्ने का मंडप बनाया जाता है.तुलसी जी के पौधे पर चुनरी चढ़ाकर विवाह के रिवाज होते है.
क्या है महत्व?
– ये त्योहार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के लिए किया जाता है.
– पूजन के अंत में ‘ऊं भूत वर्तमान समस्त पाप निवृत्तय-निवृत्तय फट्’ मंत्र की 21 माला जाप कर अग्नि में शुद्ध घी की 108 आहुतियां अवश्य देनी चाहिए. इससे जीवन के सारे रोगों, कष्टों व चिंताओं से मुक्ति मिल जाती है. जीवन में कल्याण ही कल्याण होगा.
– देवोत्थान एकादशी व्रत का फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व है.
इस दिन क्या करें
– घर और मंदिर में गन्ने का मंडप बनाए.
– लक्ष्मीनारायण का पूजन करें.
– उन्हें बेर, आंवला सहित अन्य मौसमी फल का भोग भी लगाएं.
देव प्रबोधनी एकादशी व्रत कथा
शंखासुर नामक एक बलशाली असुर था, इसी असुर ने तीनों लोकों में काफी उत्पात मचा रखा था. देवाताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की तब भगवान विष्णु शंखासुर से युद्घ करने गए. शंखासुर और भगवान विष्णु का युद्घ कई वर्षों तक होता रहा और अंत: में शंखासुर मारा गया. युद्घ करते हुए भगवान विष्णु काफी थक गए अतः क्षीर सागर में अनंत शयन करने लगे. चार माह सोने के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान की निद्रा टूटी थी. देवताओं ने इस अवसर पर विष्णु भगवान की पूजा की थी. इस तरह देव प्रबोधनी एकादशी व्रत और पूजा का विधान शुरू हुआ था.
ये हैं साल 2017 में विवाह के शुभ मुहूर्त
नवंबर में 11,12, 13, 14, 19, 23, 24, 25, 28, 29, 30 तारीख को विवाह मुहूर्त बन रहे हैं
दिसंबर में 1, 3, 4, 9, 10, 11 तारीख को विवाह मुहूर्त बन रहे हैं.
ये हैं साल में 2018 में विवाह के शुभ मुहूर्त
फरवरी में 6,18, 19, 20, 21 को विवाह मुहूर्त बन रहे हैं.
मार्च में 2, 3, 5, 6, 7, 8,12 को विवाह मुहूर्त बन रहे हैं