“राम” को काल्पनिक बोलने वालों को भी अब “राम” का सहारा


– राजनीतिक दलों को अब अहसास हो रहा है कि यही अच्छे दिन है

देश की राजनीति नेताओ से क्या- क्या करवा देती है, यह सब जानते है और वर्तमान में देख भी रहे है। आज़ादी के 75 सालो से देश की राजनीति ने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिये ही काम किया है। अपने स्वार्थ के मद्देनजर राजनीति दलों ने जातिवाद और समाजवाद को ऊपर रखा। यही नहीं राजनीति दलों ने अपने वोट बैंक को खुश करने के लिये भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार दिया था और भगवान राम को काल्पनिक सिद्ध करने में लग गए थे।

हर सनातनी व्यक्ति ने रामायण पड़ी है और रामायण को जाना भी है फिर भी राजनीति दलों ने अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिये रामायण को ही झुठला दिया था। राम की जन्मभूमि अयोध्या के प्रमाण देने के लिये रामभक्तों को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा। वहां भी विरोधियों ने कितनी ही झूठी दलीले दी ओर राम को नकारा तक दिया था। यही नहीं रामायण के हर व्रतांत को भी झुठला दिया।

सविधान का मानना है कि देश के लिये राष्ट्रसेवा पहले होना चाहिए बाद में धर्म, लेकिन यह सिर्फ एक तरफ ही क्यो लागू होता है यह आज तक हमें समझ नहीं आया। रामभक्तों को राम को सत्य साबित करने के लिये सुप्रीम कोर्ट में सालो लग गए पर राम को काल्पनिक कहने वाले राजनीति दलों का दिल नहीं पसीजा। यह जानते हुए भी की मृत्यु के उपरांत उपर वाले को अपने मनुष्य जन्म का हिसाब किताब भी देना है। लेकिन सत्ता पाने की लालसा में वह सारे नियम धर्म भूल गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जब राम के पक्ष में फैसला सुनाया तो वह फैसला भी इन्हें इतनी आसानी से मंजूर नही था। वही जब अयोध्या में शिलान्यास हुआ तो वह भी कई राजनीतिक दलों को गले नीचे नहीं उतरा।

वेसे तो भारत 1947 मे आज़ाद हुआ था पर सेक्यूलर सोच का गुलाम जरूर हो गया था। जिससे इतनी आसानी से छुटकारा मिलना सम्भव नही है। भारतवर्ष युगों – युगों से सन्तो की धरती रही है। यह तमोभूमि है जहाँ भगवान ने अलग – अलग रूप में अवतार लिए है ओर दुष्टो का संहार किया है। वही यहां कितने ही अवतारी पुरुषों ने जन्म लिया है अधर्मी लोगो के दिलो में धर्म को जगाने के लिये।

आज राम को काल्पनिक मानने वाले के दिलो में राम बस रहा है। अब राजनीतिक दलों को भी अहसास हो गया है कि यही अच्छे दिन हैं। इसलिय राजनीति दलों ने राजनीति के चलते अपने कार्यकर्ताओं को राम कि पूजा का आदेश तक दे दिया है।
यही नही बड़े बड़े नेता अब धार्मिक कथाओं के आयोजन करवाने जा रहे है। क्योकि अब सन्तो के नाम से ही लाखो की भीड़ इक्कड़ी हो रही है जो राम के नाम मे रम रही है।

हो सकता है यह राजनीति के चलते दिखावा मात्र हो पर इस बहाने कुछ तो भक्ति का रस कार्यकर्ताओं को भी मिलेगा।

Post Author: Vijendra Upadhyay