आनंदनगर आनंदमार्गियो के लिए बैकुंठ के समान है


जब परम पुरुष की गोद में पहुंचकर मनुष्य इन कुंठाओं से मुक्त होकर परम आत्मीय ईश्वर प्रेम की अनुभूति लाभ करता है – बैकुंठ कहलाता है

देवास। आनंद मार्ग प्रचारक संघ जिला देवास के भुक्ति प्रधान दीपसिंह तंवर एवं आचार्य हृदयेश ब्रह्मचारी ने बताया कि आनंद नगर में विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन 30 दिसंबर 2023 से 01 जनवरी 2024 तक संपन्न होगा। प्रथम दिन प्रातः पांचजन्य से शुभारंभ हुआ, जिसमें भारत सहित, विदेश एवं देवास उज्जैन, इंदौर, सीहोर,भोपाल, होशंगाबाद आदि जिलों के डॉ अशोक शर्मा,तन्मय निगम, अशोक वर्मा सहितआनंदमार्गी साधक बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। आचार्य अनिर्वानंद अवधूत ने बताया कि श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अपने प्रथम आध्यात्मिक उद्बोधन में बैकुंठ सर्वाेच्च धाम वक्तव्य रखते हुए कहा कि अनेक धामों यथा गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ धाम है उसी प्रकार एक धाम है बैकुंठ धाम. जहां किसी भी प्रकार की कोई संकोचन ना हो कुंठा ना हो अर्थात जहां किसी भी प्रकार की कोई संकुचित चिंता ना हो उन्होंने कहा कि यह कुंठाएं मानसिक होती है कुछ विशेष प्रकार की कुंठाएं हैं – हीन मान्यता और महामन्यता जो परम पुरुष से मनुष्य को अलग रखता है। बैकुंठ मन की वह अवस्था है जहां ना तो हीन मान्यता है और ना ही महामान्यता है यह कहां है? जब परम पुरुष की गोद में पहुंचकर मनुष्य इन कुंठाओं से मुक्त होकर परम आत्मीय ईश्वर प्रेम की अनुभूति लाभ करता है – बैकुंठ कहलाता है। आनंदमार्गियो के लिए आनंद नगर बैकुंठ के समान है। यहां आकर साधक आनंद की अनुभूति करते हुए कीर्तन करते हैं साधना करते हैं तब मन आनंद तरंगों में तरंगायित रहता है क्योंकि बाबा हरि उनके मन में बस जाते हैं। हरि रूप में भक्तों के मन में व्याप्त कुंठित विचारों को हरण कर लेते हैं और परम आनंद की अनुभूति कराते हैं। उन्होंने कहा कि एक बार बाबा ने आनंदनगर में कहा था कि यहां मेरे बेटियां संकोच रहित रहती है उन्होंने कहा कि साधकों को चाहिए कुंठा रहित होकर कीर्तन करें बाबा भाव में रहे दिन रात कीर्तन करें यह हम सभी का बैकुंठ है आनंदनगर।उक्त जानकारी संस्था के हेमेन्द्र निगम काकू ने दी।

Post Author: Vijendra Upadhyay