युवा चित्रकार आनन्द परमार का निधन

टेकरी सहित अन्य क्षेत्रों की कलात्मक सजावट में महत्वपूर्ण भूमिका रही आनंद की

देवास। शहर के युवा कलाकार, चित्रकार आनंद पिता राजेश परमार का शुक्रवार को 26 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया। उनके निधन का समाचार मिलते ही कला जगत में शोक की लहर छा गई। बालगढ़ रोड स्थित निवास से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में चिर-परिचित, समाजजन तथा शहरवासियों ने शामिल होकर उन्हें विदाई दी। आनंद का निधन कला जगत के लिए ना सिर्फ अपूरणीय क्षति है, बल्कि पूरे कला जगत को स्तब्ध करने वाला है । बहुत कम समय‌ में आनन्द ने कला के गहरे तत्वों के अनुभवों को अपनी तुविका में उतार लिया था। बहुत साद‌गीपूर्ण तथा प्रेम से सराबोर व्यवहार आनन्द के व्यक्तित्व की पहचान थी। शहर के जाने माने चित्रकार राजेश परमार आनन्द के पिता हैं। पिता से ही आनन्द ने कला का ज्ञान प्राप्त कर उसे आगे बढ़ाया। कला में आनन्द की दृष्टि बहुत गहरी व अनूठी थी। कला के क्षेत्र में नए नए अन्वेषण करना आनन्द का शौक था। प्रदेश के कई स्थलों पर आनन्द ने अपनी तूलिका की अनूठी छाप छोड़ी है। प्लास्टिक की वेस्ट बॉटलों से कई कलाकृतियों का निर्माण कर अपनी एक अलग पहचान बनाई। रंगोली और बॉटल केप से कृलाकृतियों का वर्ल्ड रिकार्ड बनाकर शहर का नाम रोशन किया है। आनन्द का व्यवहार ऐसा था जो सबके हृदय को आनन्दित करता था। प्रेम समर्पण सेवा और सहयोग में आनन्द हर समय तत्पर नजर आता था। आज आनन्द हमारे बीच नहीं है ऐसा लगता है जैसे शहर का आनन्द चला गया हो। शहर के प्रमुख स्थल टेकरी सहित अन्य क्षेत्रों की कलात्मक सजावट में आनंद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कला जगत को निरन्तर आगे बढ़ाने वाला युवा कलाकार आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन आनन्द की याद सदा लोगों के हृदय में जीवित रहेगी।

Post Author: Vijendra Upadhyay