सरस्वती विद्या मंदिर विजयनगर में संस्कृत भारती का जनपद सम्मेलन सम्पन्न

देवास। विजयनगर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में संस्कृत भारती जनपद सम्मेलन का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन और मंगलाचरण से हुआ। अतिथियों का परिचय कार्यक्रम संयोजक आदित्य द्विवेदी ने दिया।मुख्य अतिथि हेमंत शर्मा का मंगल तिलक और श्री फल से स्वागत नरेन्द्र शर्मा,विशेष अतिथि प्रेमनाथ तिवारी का स्वागत आतिश कनासिया तथा विशेष अतिथि डॉ. सुरेश शर्मा का स्वागत कृष्ण कांत शर्मा ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता हेमंत शर्मा ने बताया कि विदेश में संस्कृत भाषा पर कई शोधकार्य हुए हैं, जिनमें पाया गया है कि संस्कृत बोलने से मनुष्य की स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है क्योंकि संस्कृत बोलते समय सभी उच्चारण स्थलों का सम्यक प्रयोग होता है। आप ने कहा कि महर्षि भारद्वाज के ग्रंथों में वायुयान निर्माण के सम्बंध में तथा रामायण आदि ग्रंथों में पुष्पक विमान संबंधी वर्णन हमारी प्राचीन उन्नत भारतीय वैज्ञानिक परम्परा के द्योतक है। यास्क मुनि ने अपने निरुक्त ग्रंथ में सूर्य,अग्नि आदि के कार्यों का वर्णन किया है, वर्षा होने का मूल कारण सूर्य है ,यह उन्होंने हजारों वर्ष पहले ही अपने ग्रंथ में लिखा है। मनु ने अपने स्मृति ग्रंथ में प्रतिपादित किया कि मनुष्य के समान ही वृक्ष-लतादि भी सुख-दु:ख आदि संवेदनाओं का अनुभव करते हैं।
आपने बताया कि संस्कृत भारती व भारतीय समाज के समन्वित प्रयास से देववाणी संस्कृत भाषा जन जन की भाषा निश्चित रूप से बनेगी। विशेष अतिथि डॉ. सुरेश शर्मा ने कहा कि जनपद, संभाग और प्रदेश स्तरीय संस्कृत सम्मेलनों के माध्यम से तथा परिवारों में संस्कृत भाषा का बोलचाल की भाषा के रूप में प्रयोग कर हम संस्कृत को सर्वसामान्य भाषा बना सकते हैं। अंतिम वक्ता के रूप में सरस्वती ज्ञानपीठ के संचालक प्रेमनाथ तिवारी ने संस्कृत भाषा की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की जननी है, हमें संस्कृत को भूलना नहीं चाहिये। परिवार में संस्कृत भाषा का प्रयोग सभी को अवश्य करना चाहिये।
विद्यालयीन बच्चों द्वारा संस्कृत पाठ्य पुस्तक व गीता के श्लोकों का सस्वर सम्यक उच्चारण किया गया। संस्कृत के गेय पदों पर विद्यालयीन छात्राओं ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियां दी। बालिकाओं द्वारा सम्यक परिशुद्ध संस्कृत संभाषण ने उपस्थित सभी विद्वदजनों को आश्चर्यचकित कर दिया। श्लोकों का गायन और संस्कृत गीतों का गायन अद्भुत रहा। ऐक्य मंत्र डॉ अरविंद पंडित द्वारा किया गया।कार्यक्रम का संचालन महेशचंद्र शर्मा ने किया तथा आभार देवीचरण चक्रवर्ती ने माना।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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