माँ के दरबार में मना प्रभु राम का जन्म उत्सव

जहाँ प्रेम नहीं होता वहां राम नहीं होते – मझले मुरारी बापू

देवास। एक ओर एक मिलकर दो होना वासना उत्पन्न करता है किंतु एक और एक मिलकर रहना प्रेम का स्वरूप है। जहाँ प्रेम नहीं, सद्भावना नहीं, मानव कल्याण की प्रवृत्ति नहीं वहां दैत्यों का वास होता है। जहां प्रेम है वहाँ अध्यात्म है, भक्ति है, सद्भावना ही रहती है, सुख एवं आनंद की प्राप्ति होती है। जहाँ प्रेम नहीं होता वहां राम नहीं होते। यह आध्यात्मिक उद्बोधन चैत्री नवरात्री पर्व पर कैलादेवी मंदिर परिसर में आयोजित श्रीराम कथा के तीसरे दिन रामकथाचार्य मझले मुरारी बापू ने व्यक्त करते हुए प्रभु श्रीराम के प्रागट्य की पाँच कल्पों की कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि जब भी पृथ्वी पर दैत्यों का आतंक होता है तब प्रभु श्री हरि अवतार लेते हैं। आपने बताया कि सबसे पहले रामायण लिखने वाले भगवान शिव है तो उसके पहले माता पार्वती है। माता पार्वती ने एक सौ आठ जन्म लिये किंतु प्रभु श्रीराम की कथा सुनने के पश्चात वे अजन्मा हो गई जो भी सच्चे मन से कथा का श्रवण कर प्रभु राम के आदर्शो का पालन करता है उसका जीवन अजन्मा होना सुनिश्चित है। राम को प्रेम उसी को होगा जो राम का चरित्र सुनेगा, राम का चरित्र वही सुन सकता है जिस पर राम की कृपा होगी।
वाणी और शब्द दोनों में कोई अंतर नहीं है फिर भी दोनों अलग है जैसे जल और लहर दोनों एक है फिर भी अलग अलग दिखाई देते हैं। राम और सीता, राधा और कृष्ण दोनों अलग नहीं एक ही है। राधा का उलटा धारा है राधा पे्रयसी नहीं एक ऐसी धारा है जो ब्रह्म तक पहुँचाती है। राम अवतार के कल्पों की कथा के वृतांत मेंं सती वृंदा एवं जालंधर की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जालंधर ने देवलोक पर विजय प्राप्त की उसके वध को करने के लिये सती वृंदा के सतीत्व को नष्ट करने के लिये भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा का सतित्व नष्ट करने की कोशिश की। वंृदा के श्राप के कारण भगवान विष्णु पत्थर हो गए तब से भगवान विष्णु सालिगराम के रूप में पूजे जाते हैं। भारत में तभी से पत्थर की मूर्ति की पूजा होती है। माता लक्ष्मी ने वृंदा को वन की पत्ती होने का श्राप दिया, भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया कि जब तक तुम्हारी पत्ती का भोग नहीं लगेगा तब तक मैं भोजन स्वीकार नहीं करूंगा। संसार में तुलसी के नाम से जानी जाओगी। संत ने बताया कि जिसके गले में तुलसी की कंठी होती है उस पर बिजली नहीं गिरती, जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर में स्वयं नारायण एवं महालक्ष्मी का वास होता है। जिस घर में तुलसी नहीं है वहां दैत्यों का वास होता है। भगवान श्रीराम के प्रागट्य का उत्सव मनाते हुए भजनों की मधुर धुन पर श्रोताजन झूमने लगे। कथा पांडाल में जय जय श्रीराम का जयकारा होने लगा। राजा दशरथ एवं कौशल्या की झांकी के साथ भगवान विष्णु के दर्शन एवं भगवान जन्म उत्सव की सुंदर झांकी को सदृश्य किया गया। इस अवसर पर मन्नुलाल गर्ग, सुशीला गर्ग, दीपक गर्ग, अनामिका गर्ग, ब्रजमोहन अग्रवाल, योगेश बंसल, कथा संयोजक रायसिंह सेंधव ने भगवान श्रीराम की पूजा की और पालना झुलाया।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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