देवास । म.प्र. शिक्षक संघ ने ई-अटेंडेंस में आने वाली परेशानियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए इसे स्थगित करने की मांग का ज्ञापन जिलाधीश के माध्यम से दिया। ज्ञापन में बताया गया कि समाज के संपूर्ण वर्ग जिसमेें कर्मचारी/ अधिकारी/राजनेता/ व्यापारी/ उघोगपति एवं सभी को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। समाज में शिक्षक को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। परंतु शासन के 55 विभागों में से मात्र शिक्षा विभाग के अधिकारी/कर्मचारी एवं शिक्षक संवर्ग को 1 अपै्रल 2018 से एम शिक्षा मित्र के माध्यम से ऑन लाईन उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश दिया गया है। जिससे संपूर्ण शिक्षा विभाग के अधिकारी/कर्मचारी एवं शिक्षक अपमानित महसूस कर रहे हैं। साथ ही कुछ व्यवहारिक कठिनाईयां भी है। शिक्षा विभाग सुदूर ग्रामीण अंचल तक फैला हुआ है जहां पर मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है। मोबाइल का डिस्चार्ज होना, मोबाइल घर पर भूल जाना या रास्ते में गिर जाना, उपस्थिति लगाते समय हाथ से छूट कर गिरकर बंद हो जाना। ऐसी स्थिति में शिक्षक विद्यालय में उपस्थित होते हुए भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में असहाय महसूस करेगा। एक विशेष बात यह है कि राज्य सरकार के समस्त कर्मचारियों में केवल शिक्षक ही ऐसा कर्मचारी है जो स्कूल में पहुंचने एवं वापस जाने की सूचना घंटी बजाकर देता है। शिक्षा विभाग की मानीटरिंग हेतु विभागीय डी.ई.ओ., संकुल प्राचार्य, डी.पी.सी., ए.पी.सी., बी.आर.सी., बी.ए.सी., सी.ए.सी., पी.जी.बी.टी.स्टॉफ, डाईट स्टाफ के साथ ही जिलाधीश महोदय, सी.ई.ओ. जिला पंचायत महोदय, एस.ङीएम महोदय, तहसीलदार से लेकर अन्य कई एजेंसियां कार्यरत है। क्या शासन का भरोसा इन पर भी नहीं है। जो ई अटेंडेंस लागू किया जा रहा है। बहुत से शिक्षक, अध्यापकों की सर्विस बुक अपडेट नहीं है। अभी भी स्थानांतरण, पदोन्नती और संलग्रीकरण की स्थिति में उन्हें पुरानी संस्था में ही प्रदर्शित किया जा रहा है। जिससे वर्तमान में कार्यरत संस्था से ई-अटेंडेस लगाए जाने पर वेतन संबंधी समस्या खड़ी होगी। शाला मुख्यालय पर रहने हेतु सर्व सुविधायुक्त आवास की व्यवस्था शासन द्वारा नहीं की गई है।
प्रायोगिक तौर पर ई-अटेंडेंस व्यवस्था इंदौर और कटनी जिले में लागू की गई थी। शाला में उपस्थित रहते हुए भी अनेक शिक्षकों, अध्यापकों का पूरे माह का वेतन अभी तक नहीं निकल पाया है। शिक्षकों, अध्यापकों को शाला छोडकर वेतन निकलवाने हेतु अनावश्यक अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काटने पड रहे हैं लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। जिससे शैक्षणिक व्यवस्था भी बाधित होती है। ई-अटेंडेंस तकनीकी विषय है इसका उपयोग सभी के लिये आसान व्यवस्था नहीं है, ना ही प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था की गई है। कहा जा रहा है कि एन्ड्राईड मोबाइल न होने की स्थिति में साथी के मोबाइल से उपस्थिति दर्ज करे। किस आधार पर साथी को उपस्थिति दर्ज कराने के लिये बाध्य किया जा सकता है।
एक तरफ तो शासन शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता के रूप में महिमा मण्डित करने की बात करता है वहीं दूसरी ओर उनकी उपस्थिति को एम शिक्षा मित्र के ई अटेंडेंस लगवाकर उनके प्रति अविश्वास का भाव प्रदर्शित कर रहा है। शासन का यह दोहरा मापदंड समझ से परे है।
संघ ने मांग की है कि एम शिक्षा मित्र ई अटेंडेंस व्यवस्था स्थगित की जाए एवं पूर्व की भांति शाला उपस्थिति पंजी पर उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था को मान्य किया जाए। इस अवसर पर संभागीय उपाध्यक्ष उदलसिंह परमार, जिलाध्यक्ष शिवेेश शर्मा, जिला सचिव मोहनदास बैरागी, जिला कोषाध्यक्ष कमलकांत मेहता, दीपक शुक्ला, भूपेन्द्र माली, दिनेशसिंह सिसोदिया, ब्लाक अध्यक्ष बसंत व्यास, हरिओम वैष्णव, भगवानदास मेहता, रमेश शर्मा, महेन्द्र नाईवाल, राकेश परिहार, वासुदेव शर्मा, ऐश्वर्य मिश्रा, पंकज शुक्ला, रेखा शर्मा, मयंक दुबे, विक्रम पटेल, राकेश व्यास, अशोक जोशी, आशुतोष धारीवाल, राजेश वर्मा, दिनेश चौधरी, देवेन्द्र मुकाती, हेमेन्द्र निगम, सुदेश सांगते, हरिओम तिवारी, ओमप्रकाश परमार, महेश मिश्रा, जगदीश भाटी आदि उपस्थित थे।