वही घर स्वर्ग रहता है जहां सास और बहू में समर्पण के साथ प्रेम रहता है – मझले मुरारी बापू

देवास। प्रभु श्रीराम के साथ सीता का विवाह हुआ उस दिन पूरे जनकपुर में घर घर विवाह योग्य कन्याओं का उसी वैदिक पद्धति से विवाह हुआ। राजा जनक ने अपने राज्य में सबसे बड़ा सामुहिक विवाह संपन्न कराया था तभी से हमारे देश में सामूहिक विवाह का प्रचलन शुभ मानकर किया जाता है। बेटी की विदाई की करूणा का वर्णन सुनकर पांडाल में बैठे श्रोताओं की आंखें भर आई। परिवार को संस्कारवान बनाने के बहुत सुंदर सूत्र बताते हुए कैलादेवी मंदिर में श्रीराम कथा करते हुए रामकथाचार्य मझले मुरारी बापू ने कहा कि वही घर स्वर्ग रहता है जहां सास और बहु में त्याग और समर्पण के साथ प्रेम रहता है। जिस बहु के स्वभाव में समर्पण नहीं होगा और जिस सास में वात्सल्य नहीं होगा उस घर में सुख और शांति नहीं रहेगी। गृहस्थी के कठोर नियमों का पालन ही श्रेष्ठता को निर्मित करता है।
आपने कहा कि बालकाण्ड अर्थात बचपन रामायण सिखाती है कि बचपन में बच्चों का संस्कार कैसा होना चाहिये। अयोध्या काण्ड अर्थात युवा अवस्था में अपने कर्तव्य और चरित्र का पालन कैसे किया जाय यह जानने के लिये राम कथा का श्रवण करे जिससे अपने यौवन को सवारे उसका बुढापा कभी नहीं बिगड सकता है। चरित्र बनाने के लिये राम के गुणों का अनुसरण करना चाहिये। राम वनवास के प्रसंग का आध्यात्मिक चित्रण करते हुए बापू ने कहा कि कैकई ने भारत का राज्याभिषेक नहीं मांगा था, रामचरित मानस में तुलसीदासजी ने टीका शब्द का उपयोग किया । टीका अर्थात निंदा, कैकई ने अपने चारों पुत्रों को श्रेष्ठ बनाने के लिये रमा को वनवास देने का कहा था। 12 वर्ष में साधना सिद्ध होती है और 14 वर्ष की साधना व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाती है। तुलसीदास जी की चौपाई के प्रत्येक शब्द की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए आपने श्रोताओं को रामायण के गुढ़ रहस्यों से अवगत कराया।
प्रभु को तैरना नहीं आता है
केवट प्रसंग का बहुत सुंदर चित्रण करते हुए भक्ति के उन प्रभावों को प्रदर्शित किया जिसमें परमात्मा का मर्म छिपा हुआ, जब गंगा नदी पार करने के लिये प्रभु श्रीराम ने केवट से विनती की तो प्रभु चरण के रज प्रताप से भयभीत केवट ने अपने नौका को बचाने के लिये प्रभु श्रीराम के चरणों को धोया, लक्षमण के विरोध करने पर केवट ने कहा आप चरण धुलवाकर ही मेरी नौका में बैठ सकते हैं आप तो गंगा पार नहीं कर सकते क्योंकि प्रभु श्रीराम को तैरना नहीं आता है। आज रामायण प्रसंग में भ्रातत्व प्रेम का आध्यात्मिक उल्लेख भरत मिलन में होगा। ठीक दोपहर 3 बजे कथा प्रारंभ होगी। आरती में विशेष रूप से राष्ट्रीय कवि देवकृष्ण व्यास, माखनसिंह राजपूत, अशासकीय शिक्षण संस्था के पदाधिकारी राजेश खत्री, दिनेश मिश्रा, आर पी मिश्रा, रवि श्रीवास्तव, सुरेन्द्र राठौर, राजेश गोयल, अनिल शर्मा, राजेन्द्र गोयल, नीरज शर्मा, उपस्थित थे। रामायण की पूजा आयोजक मन्नुलाल गर्ग, दीपक गर्ग, अनामिका गर्ग, रमण शर्मा, मोहन श्रीवास्तव ने की। राम कथा में बापू की मानस पुत्री किरण भाटी ने अपने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति देकर समा बांधा। संचालन चेतन उपाध्याय ने किया।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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