शत प्रतिशत परिणाम देने वाले बहुचर्चित शिक्षा की पुस्तक क्रियात्मक अनुसंधान की लेखिका डॉ. मनोरमा जैन को साहित्य कलश संस्था इंदौर ने किया सम्मानित

देवास। शासकीय शिक्षा महाविद्यालय देवास में पदस्थ ख्यातिनाम शिक्षाविद जो क्रियात्मक अनुसंधान नामक बहुचर्चित पुस्तक की लेखिका के रूप में जानी जाती है। उन्हें साहित्य कलश संस्था ने 25 अपै्रल को इंदौर में भव्य अलंकरण समारोह आयोजित कर सम्मानित किया। संस्था के संयोजक विद्यासागर, डॉ. चंचल रिझावानी ने बताया कि क्रियात्मक अनुसंधान, बीएड के शिक्षार्थियों के लिये लिखी गई ऐसी पुस्तक है जो वर्ष 2017 में उस वक्त चर्चा में आई थी जब शासकीय शिक्षा महाविद्यालय देवास का परीक्षा परिणाम 100 प्रतिशत आया था और आश्चर्यजनक तथ्य तो यह था कि सभी शिक्षार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए थे। चूंकि इस महाविद्यालय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, फलस्वरूप सभी शिक्षाविदों के लिये यह नजरों का केन्द्र बना। शिक्षार्थियों से बातचीत करने व महाविद्यालय से जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ कि डॉ. मनोरमा जैन की अध्यापन शैली और उनकी बहुचर्चित पुस्तक क्रियात्मक अनुसंधान ने यह चमत्कार दिखाया है। इसीलिये इस पुस्तक को वर्ष 2017 में शिक्षा की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक घोषित किया जाकर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ. कपिल देव मिश्र ने डॉ. मनोरमा जैन को जबलपुर में सम्मानित किया। अंतर्राष्ट्रीय संस्था जीतो इंटरनेशनल द्वारा भी डॉ. मनोरमा जैन को रजत प्रशस्ती पत्र एवं 25000 की नकद राशि देकर सम्मानित किया गया। साहित्य कलश संस्था इंदौर के इस भव्य अलंकरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध कवि सत्यनारायण सत्तन की उपस्थिति ने कार्यक्रम को भव्यता प्रदन की। संस्था के आयोजकों ने कहा कि यह सम्मन एक माह की चयन प्रक्रिया उपरांत निर्णित हुआ है। आयोजकों ने मंच से बोलते हुए कहा कि डॉ. मनोरमा जैन ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक अनुसंधान किए है किंतु क्रियात्मक अनुसंधान एक ऐसी पुस्तक है जो दूसरे लेखकों के लिये प्रकाश स्तंभ बनकर उनका मार्गदर्शन भी करेगी। कवि सत्यनारायण सत्तन ने अपने उद्बोधन में कहा कि नारी जब साहित्य सृजन करती है तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। क्योंकि परमात्मा ने भी सृजन का दायित्व नारी को ही सौंपा है। इसलिये नर शब्द दिगम्बर जैन है बिना किसी मात्रा के जबहिक नारी शब्द में दो बडी मात्राएं है जो उसकी मर्यादा को रेखांकित करती हैं। डॉ. मनोरमा जैन की कृति क्रि यात्मक अनुसंधान बीएड के परीक्षार्थियों के लिए है जो कोहिनूर बल्बिशर देवास से प्रकाशित है और वर्तमान में इसका प्रथम संस्करण स्टाक समाप्त हो जाने से द्वितीय संस्करण शीघ्र उपलब्ध होगा ।

Post Author: Vijendra Upadhyay

Leave a Reply