राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवासला के डाइनिंग हॉल के प्रवेश द्वार पर 47 साल से एक टेबल सेट है,जिसकी कुर्सी इंतजार में झुकी हुई है….ये प्रतिकात्मक रूप से उन भारतीय सेना के युद्ध बंदियों के लिए है जिसे सरकार और हम दोनो भूल गए हैं पर उनके साथी कभी नही भूले…पर यह एक उम्मीद है कि वो एक दिन घर लौट आएंगे (1971 के युद्ध के 54 Missing in action/Pow जो कभी घर वापस नहीं आए )
टेबल पर एक प्लेकार्ड रखा है जिसपे लिखा है
” ये टेबल छोटा है एक के लिए,जिसकी कुर्सी आगे की ओर झुकी है,जो अपने उत्पीड़कों के खिलाफ एक कैदी के निर्बलता का प्रतीक है… एक फूलदान में रखा एकल गुलाब हमें परिवारों की याद दिलाता है और हमारे साथियों के प्रियजनों को याद दिलाता है जो अपने विश्वास से उनकी वापसी का इंतजार करते हैं … फूलदान पर बंधा लाल रिबन हजारों सीनों पर पहने हुए उन लाल रिबन की याद ताजा करती है जो हमारे लापता होने के संख्या की मांग करने के लिए अपने असीमित दृढ़ संकल्प को गवाही देते हैं… मोमबत्ती धुंधलापन /अंधेरे में भी उनकी अजेय भावना की ऊंचाई को दिखाता है .. एक नींबू का टुकड़ा रोटी की प्लेट में है, हमें कड़वी भाग्य की याद दिलाने के लिए … रोटी की प्लेट पर नमक है ,हमारे परिवार के आंसुओं का प्रतीकात्मक रूप में.. ग्लास उल्टा हुआ है, क्योंकि वो टोस्ट नहीं कर सकते इस रात हमारे साथ…. यह कुर्सी खाली है वे यहाँ नहीं हैं, याद रखें! आप सभी जिन्होंने उनके साथ सर्व किया और उन्हें कॉमरेड कहा है ,जो कभी उनकी शक्ति और सहायता पर निर्भर थे और उन पर भरोसा करते थे , निश्चित रूप से उन्होंने आपको कभी छोड़ा नहीं है, उन्हें हमेशा याद रखें कि जब तक वे घर नही आते हैं ….
इंदिरा सरकार ने जीते हुए युद्ध के बाद शिमला समझौता कर लिया युद्ध के सभी लगभग 97000 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा कर दिया और उन्हें गरिमा के साथ पाकिस्तान भेज दिया…परंतु हमारे 54 बहादुर भारतीय सैनिक थे जो पाकिस्तान में यातनाएं झेल रहे थे इंदिरा गाँधी उन्हे भूल गई….यह टेबल और कुर्सी उनकी प्रतीक्षा कर रही है आज तक…