सदगुणों का सृजन एवं दुर्गुणों का विसर्जन होता है चातुर्मास

मानव जीवन में गति नहीं प्रगति चाहिये -वीररत्न विजयजी

देवास। चहुंओर चातुर्मास पर्व का शुभारंभ हो रहा है। यही एक ऐसा पर्व है जो चार माह तक चलता है। जैन जगत में चातुर्मास पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व सृजन का भी है और विसर्जन का भी । इसके अंतर्गत सद्गुणों का सृजन एवं दुर्गणों का विसर्जन किया जाता है। यह पर्व स्वीकार का भी है और इनकार का भी। हमें अमृत का स्वीकार करना है औैर जहर का इनकार, क्योंकि मानव जीवन में गति नहीं प्रगति होना चाहिये। ज्ञानियों के अनुसार चातुर्मास पर्व की सफलता हेतु इसमें स्वीकार योग्य तीन अमृत का वर्णन किया गया है। ये हैं वचनामृत, दानामृत और करूणामृत। यह बात चातुर्मासिक प्रवेश पूर्व देवास नगर पधारे पूज्य अनुयोगाचार्य श्री वीररत्नविजयजी म.सा. ने कही। आप श्री मुनि सुव्रत स्वामी मंदिर सिविल लाईन्स पर आयोजित महती धर्मसभा को उपदेशित कर रहे थे। आपने कहा गुरूजनों, गुणिजनों एवं ज्ञानिजनों केे वचन रूपी अमृत का श्रवण एवं स्वीकार करते हुए अपने जीवन को कल्याण मार्ग पर ले जाना है। साथ ही अपने स्वयं के मुखरूपी कमल से वाणीरूपी अमृत को ही उच्चारित एवं प्रसारित करना है। हमारे शब्द किसी के लिए जहर न बन जाए यही चातुर्मास की सार्थकता है। आपकी वाणी और व्यवहार के आधार पर ही आपके रूप एवं स्वरूप का परिचय होता है। हाथ रूपी कमल में दानरूपी अमृत धारण करना होगा। इस प्रकार हम जरूरतमंदों को एवं धर्म तथा मानव सेवा क्षेत्र में यथोचित दान देते हुए चातुर्मास में अपनी आत्मा को मोक्षगामी बनाने का सद्मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हृदय रूपी कमल में करूणारूपी कमल को स्थापित कर जगत के जीवमात्र के प्रति मैत्री, दया एवं प्र्र्रेम का भाव विकसित करना ही चातुर्मास की सफलता का मुख्य सूत्र है। इस प्रकार हम मोक्ष प्राप्ति के तीन सर्वमान्य सदमार्गों दया, दान और दमन को आत्मसात करते हुए दान के माध्यम से दानामृत, दया के माध्यम से करूणामृत एवं इंद्रियों के दमन से वाणी पर नियंत्रण रखकर वचनामृत को प्राप्त करेंगे। इन तीनों अमृत का स्वीकार एवं जहर रूपी विषय, कषाय तथा दुर्गुणों का जीवन में इंकार करना है। तब ही चातुर्मास और इस दुर्लभ मानव जीवन की सफलता सुनिश्चित कर पाएंगे। लम्बे अंतराल के पश्चात एक ही नगर सांचोर से संबंधित पूज्य अनुयोगाचार्य का साध्वी श्री शीलगुप्ता श्रीजी ने दर्शन वंदन का लाभ प्राप्त किया। इस दुर्लभ दृश्य के समस्त नगरवासी प्रत्यक्ष साक्षी बने। धर्मसभा पश्चात दोपहर में पूज्य साध्वीजी के सानिध्य में महिलाओं एवं बच्चों का ज्ञानशिविर आयोजित हुआ ।
आगामी कार्यक्रम
आगामी कार्यक्रम के अंतर्गत आज 16 जुलाई सोमवार को प्रात: 7.45 बजे पूज्य साध्वी श्री शीलगुप्ता श्रीजी म.सा. का अपने संपूर्ण साध्वी मण्डल के साथ भव्य नगर प्रवेश होगा। इस उपलक्ष्य में मंडी धर्मशाला से एक विशाल शोभायात्रा निकाली जावेगी। तत्पश्चात श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर पर धर्मसभा, साधर्मिक भक्ति एवं विशिष्ट संघ पूजन का आयोजन होगा। कार्यक्रम का संचालन संदीप जैन ने किया, स्वागत गीत श्वेता जैन,सोनल जैन, प्रियंका जैन, प्रमिला जैन ने प्रस्तुत किया। स्वागत उद्बोधन शैलेन्द्र चौधरी ने दिया तथा आभार डी.सी. जैन ने माना।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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