मुनिश्री तरूण सागर जी के दवेलोक गमन पर समग्र जैन समाज द्वारा विनयांजलि सभा आयोजित

मार्गानुसारिता के विशिष्ट गुण के स्वामी थे तरूण सागर जी – शीलगुप्ता श्रीजी
देवास। क्रांतिकारी संत एवं आस्था के केन्द्र बिंदु मुनि श्री तरूण सागर जी म.सा. के देवलोक गमन पर समग्र जैन समाज द्वारा विनयांजलि सभा का आयोजन हुआ। यह सभा देवास में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वीजी श्री शीलगुप्ता श्रीजी एवं शीलभद्रा श्रीजी के सानिध्य में संपन्न हुई। मुनि श्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए साध्वीजी ने कहा कि दिगम्बर परम्परा में सबसे छोटी उम्र में त्याग मार्ग को धारण करने वाले वे प्रथम व्यक्तित्व थे। वे अपने गुरू परम्परा के प्रहरी थे। मार्गानुसारिता के गुणों के विशिष्ट स्वामी होते हुए भी उन्होंने स्वयं को कभी महान नहीं माना। यही उनके सद्गुणों की महानता थी। हम प्रभु से यही प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा शीघ्र ही वीतरागता को प्राप्त कर परम पद को प्राप्त करे।
उक्त जानकारी देते हुए अनिल गोधा ने बताया कि विनयांजलि सभा का आयोजन संत निवास नयापुरा पर हुआ। सभा में म.प्र. शासन के प्रतिनिधि शिक्षा मंत्री दीपक जोशी, महाराज विक्रमसिंह पवार, महापौर सुभाष शर्मा, एल्डरमेन भरत चौधरी, मनोज राजानी, जयसिंह ठाकुर, रेखा वर्मा, द्वारका मंत्री, अनिल सिकरवार, तरूण मेहता, चंद्रपालसिंह सोलंकी, शैलेन्द्र चौधरी, विजय जैन, रामनिवास जी मंगल, राकेश अग्रवाल, रामेश्वर जलोदिया, एच एल मेहता, गुरू चरणसिंह सलूजा, मनोहरसिंह कराड़ा ने संत श्री के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर इंदरमल पाणोत, संजय कटारिया, जयकुमार दोराया, के.सी. जैन, मनोहर जैन, संजय जैन, आर.सी. जैन, एस.पी.सेठी, सुरेन्द्र कुमार तेजावत, राजेश बागरेचा, दीपक जैन, राकेश तरवेचा,
सभा का संचालन श्रीकांत उपाध्याय ने किया।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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