धूमधाम से मनाया कृष्ण जन्मोत्सव
देवास। बिना पुण्य के व्यक्ति सत्कर्म नहीं कर सकता, पुण्य से सत्संग की तथा सत्संग से विवेक की प्राप्ति होती है । गुरु चरित्र का निर्माण करता है, और संत आते हैं मनुष्य को सुधारने के लिए । जो संतों के सत्संग का अनुसरण करता है, उनके बताए मार्ग पर चलता है, वह पु ण्यों को अर्जित करता है। वह अपने ही नहीं पूरे कुल के जीवन को भागवत प्रेम का अनुयायी बना देता है। यह आध्यात्मिक विचार माहेश्वरी समाज द्वारा श्री सांवलियानाथ मंदिर पर श्रीमद भागवत कथा में पं. अनिल जी ने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संत की वाणी मनुष्य में पाप उपजने नहीं देते और भगवान पापी को क्षमा नहीं करते । संत धोबी के समान होता है जो की वासना, लोभ, मोह, ईर्षा एवं कुविचाररूपी मैल को राम नाम रूपी साबुन से धोकर मनुष्य मन को निर्मल करता है। आपने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर गोकुल में आगमन किया तो नंद बाबा के घर आनंद की वर्षा होने लगी। समूचा गोकुल माता यशोदा और नंद बाबा को बधाई देने लगा। समूचे गोकुल के हर घर में आनंद का वातावरण निर्मित हुआ। श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कथा प्रसंग अनुसार भगवान शिव के द्वारा बाल कृष्ण रूपी त्रिलोकीनाथ के दर्शन का चित्रण, पूतना वध, कृष्ण बलराम के नामकरण संस्कार का आध्यात्मिक वर्णन किया गया। इस अवसर पर भागवत कथा के यजमान समाज अध्यक्ष प्रहलाद दाड़, महेश झंवर, अनिल झंवर, कल्याण भूतड़ा, प्रदीप लाठी, राजेन्द्र मूंदड़ा, सतीश परवाल, सुरेश परवाल, मनोज मूंदड़ा, सत्यनारायण लाठी, शिवाजी माहेश्वरी, कैलाश डागा, श्रीधर माहेश्वरी, नरेन्द्र मूंदड़ा, सूरज चौधरी, दिनेश बी भूतड़ा, सुनील चंडक, मनीष राठी, महिला मण्डल अध्यक्ष शोभा चिचाणी, सचिव मंगला परवाल तथा युवा संगठन एवं सखी संगठन के सदस्यों ने उपस्थित होकर कृष्ण जन्मोत्सव का भरपूर आनंद उठाया। श्रीमद भागवत एवं श्रीकृष्ण की आरती की गई तत्पश्चात माखन मिश्री, पेढे का प्रसाद वितरित किया गया।