कृष्ण-रुक्मणि विवाह में झूमे भक्त, भगवान के साथ खेली फूलों की होली

देवास। जैसे ही भगवान कृष्ण और रुक्मणि ने एक दूसरे को वर माला पहनाई सारा पंडाल हर्ष ध्वनि से गूंज उठा। श्रद्घालु जय-जय राधे और जय-जय रुक्मणि का जयघोष लगाते हुए खुशी से नृत्य करने लगे। श्री कृष्ण-रुक्मणि के विवाह के अवसर पर भक्तों ने अपने भगवान के साथ फूलों की होली भी खेली। उक्त बात विजयनगर में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत चल रही श्रीमद भागवत कथा में छठवें दिन आचार्य पं. भरत चौबे ने कहीं। आयोजक प्रमोद व्यास ने बताया कि कथा का शुभारंभ अमलेश्वर महादेव सेवा समिति ने भागवत पूजन कर किया।
व्यासपीठ की आरती मुख्य अतिथि महापौर सुभाष शर्मा, रायसिंह सेंधव, राजीव खण्डेलवाल, लक्ष्मीनारायण तिवारी, शैलेन्द्र शास्त्री, रामेश्वर माली, आशुतोष पप्पू जोशी, लक्ष्मी माली, कल्पना जोशी, शकुंतला उपाध्याय, मनोरमा सोलंकी ने की। महाराज श्री ने कहा कि वर्तमान में मनुष्य यज्ञ से दूर हो रहा है, जिसका परिणाम सामने है। मनुष्य को सत्कर्म के मार्ग पर चलना चाहिए तब ही उसका कल्याण हो सकता है। माता-पिता की सेवा समाज का सबसे बड़ा धर्म है। गो सेवा और नारी सम्मान करने वालों का हमेशा कल्याण होता है। गाय तो विश्व की माता है। उसे राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाना चाहिए। कथा में श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग के अनुसार झांकी प्रस्तुत की गई। पंडितजी ने भजनों की प्रस्तुति देकर विवाह प्रसंग को जीवंत बना दिया। भजनों पर श्रद्घालु भावविभोर होकर नृत्य करने लगे। जब श्रीकृष्ण-रूक्मणि पंडाल में आए तो भक्त दर्शन के लिए आतुर हो उठे। इस दौरान फूलों की बारिश कर भगवान का स्वागत किया। भक्तों ने फूलों की होली भी खेली। आज कथा की पूर्णाहूति होगी।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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