गीता के श्लोकों के वाचन मात्र से मनुष्य के पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है

देवास। गीता जयंती के उपलक्ष्य में स्टेशन रोड़ स्थित गीता भवन में गीता जयंती महोत्सव एवं संत सम्मेलन संत श्री श्री 108 स्वामी माधवानंद गिरी जी महाराज के सानिध्य में चल रहा है। संतो की वाणी को सुनने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन पधार रहे है। वरिष्ठ ट्रस्टी एवं अभिभाषक हरिनारायण शर्मा ने बताया कि सम्मेलन में दूसरे दिवस व्यासपीठ पर श्रीश्री 108 स्वामी माधवानंद जी महाराज, श्री रामदास जी महाराज अयोध्या, संत श्री चक्रधारी महाराज, संत श्री सुरेशानंद तीर्थ नारायण कुटी, श्री 1008 वीरेन्द्रानंद जी गिरी महाराज विराजित थे। संतो ने अपनी के मुखारबिंद से गीता जयंती के बारे में बताते हुए कहा कि इसे श्रीमद् भगवद्गीता की प्रतीकात्मक जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवद्गीता के दर्शन मात्र का बड़ा लाभ होता है। यदि इस दिन गीता के श्लोकों का वाचन किया जाए तो मनुष्य के पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है।
सनातन धर्म में इसका अत्यधिक महत्व है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में उस वक्त गीता का ज्ञान दिया था, जब वह अपने कर्म पथ से भटकने लगे थे। हिंदू पंचांग के अनुसार इसे मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी पर मनाया जाता है। गीता जयंती से मनुष्य कभी भी कर्म पथ से नहीं भटकता। साथ ही उसके पास धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, बुद्धि, साहित्य एवं संस्कारों का बसेरा रहता है। वह सदा ही अभिमान, अहंकार, लालच, काम, क्रोध, द्वेष से दूर रहता है। आरती सचिव शरद तिलकराज त्रेहन, प्रहलाद अग्रवाल, मोहन कुमान गोयल, प्रदीप लाठी, रमेशचंद्र रघुवंशी, कल्याण भूतड़ा, लोकेश रघुवंशी, विनोद तिवारी आदि ने की।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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