देवास। श्री नारायण कुटी सन्यास आश्रम में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में परम पूज्य अरविंद जी महाराज ने शिव- पार्वती विवाह की कथा सुनाई। संगीत की स्वरलहरियों पर विवाह की जीवंत प्रस्तुति से भक्त भाव-विभोर होकर झूम उठे। इस दौरान सजी शिव पार्वती की झांकी पर भक्तों ने पुष्पवर्षा की। महाराज जी ने कहा कि कहा कि शंकरजी ने सप्त ऋषियों को विवाह का प्रस्ताव लेकर हिमालय के पास भेजा, विवाह की तिथि निश्चित हुई। नारदजी ने सभी देवताओं को न्योता दिया। गणेश्वर शंखकर्ण, केकराक्ष, विकृत, विशाख, विकृतानन, कपाल, कुंडक, काकपादोदर, मधुपिग, प्रमथ, वीरभद्र आदि गणों के अध्यक्ष चल पड़े। नंदी, क्षेत्रपाल, भैरव आदि गणराज भी कोटि-कोटि गणों के साथ निकल पड़े। ये सभी तीन नेत्र वाले थे। सबके मस्तक पर चंद्रमा और गले में नीले चिन्ह थे। सभी ने रुद्राक्ष के आभूषण पहन रखे थे। सभी के शरीर पर उत्तम भस्म पुती हुई थी। इन गणों के साथ शंकरजी के भूतों, प्रेतों, पिशाचों की सेना भी आकर सम्मिलित हो गई। इनमें डाकिनी, शाकिनी, यातुधान, बेताल, ब्रह्मराक्षस आदि भी शामिल थे। इन सभी के रूप-रंग, आकार-प्रकार, चेष्टाएं, वेश-भूषा, हाव-भाव आदि सभी कुछ अत्यंत विचित्र थे। कथा में शिव-पार्वती विवाह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान सुमधुर भजनो की प्रस्तुति दी गई, जिस पर श्रद्धालुओ ने जमकर नृत्य किया। जानकारी देते हुए स्वामी माधवानंद तीर्थ जी ने बताया कि व्यासपीठ की आरती मुख्य यजमान कृष्णमोहन गुप्ता एवं श्रीमती वीणा गुप्ता बैंगलोर सहित उपस्थित भक्तो ने की। तत्पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया। कथा की पूर्णाहूति 30 दिसंबर को होगा।
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