देवास। परम ब्रह्म परमेश्वर भगवान शिव ने सृष्टि की रचना के पूर्व शक्ति की रचना की शिव और शक्ति में प्रकृति को संचालित किया है। संसार का अंतिम सत्य मृत्यु अर्थात मोक्ष है जो बिना शिव की आराधना के संभव नहीं है। ब्रह्मा द्वारा रचित सृष्टि और विष्णु द्वारा पोषित होने वाली इस सृष्टि में संपूर्ण प्राणी प्रकृति के अधीन हैं, किंतु प्रकृति शिव के अधीन है। यह आध्यात्मिक विचार कैलादेवी मंदिर में हो रही शिव महापुराण के चतुर्थ दिवस पर युग विभूति विदुषी ऋचा गोस्वामी ने शिव और पार्वती के विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि भगवान शिव और जगदंबा माता पार्वती का विवाह संसार का एक ऐसा अलौकिक विवाह है, जिसका वर्णन सुनने सुनाने तथा चिंतन करने से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। शिव अजंमा है, उनका विवाह की शक्ति के जन्म का कारक है। शिव की भक्ति संसार को शक्ति ने सिखाई है। माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को प्राप्त करने के लिए 60 हजार वर्षों तक घोर तपस्या की और संसार में उनकी तपस्या के कथा के अनुसरण मात्र से मनोकामनाएं प्राप्त होती है। कथा में भगवान शिव की उपासना के अनेक दृष्टांतो का वर्णन करते हुए विदुषि ऋचा गोस्वामी ने शिव विवाह का इतना सुंदर वर्णन किया कि श्रोता भाव विभोर हो गए भगवान शिव और पार्वती के विवाह की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई। कथा के दौरान शिव पार्वती विवाह प्रसंग के सजीव चित्रण में पार्वती के स्वरूप का पूजन कर जिला अध्यक्ष मनोज राजानी की धर्मपत्नी कविता राजानी पार्वती ने कन्यादान कर इस अवसर का पुण्य लाभ प्राप्त किया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज अध्यक्ष संजय शुक्ला, प्रयास गौतम, सतीश दुबे, चेतन उपाध्याय, अशासकीय शिक्षक संघ अध्यक्ष राजेश खत्री, चेतन पचौरी, सत्नारायण जयसवाल, राजेश गोयल, राजेश जायसवाल, विष्णु जायसवाल, आदित्य दुबे, अम्बाराम जायसवाल, पंकज जायसवाल, जयनारायण जायसवाल, महेश जायसवाल, रमेश तिवारी, उमेश जायसवाल, सोनकच्छ, दिनेश मिश्रा, एड. नीलेश वर्मा आदि उपस्थित थे। मुख्य अतिथि के रूप में हाटपीपल्या विधायक मनोज चौधरी ने विदुषि का सम्मान किया तथा आरती की। कार्यक्रम का संचालन अनिल गोस्वामी ने किया।