“राम” को काल्पनिक बोलने वालों को आज “जय श्री राम” बोलना पड़ रहा है

विजेंद्र उपाध्याय, देवास

देवास। राजनीति लोगो से क्या- क्या करवा देती है, यह सब जानते है और वर्तमान में देख भी रहे है। आज़ादी के 72 सालो से देश की राजनीति ने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिये ही काम किया है। अपने स्वार्थ के मद्देनजर राजनीति दलों ने जातिवाद और समाजवाद को ऊपर रखा। यही नहीं राजनीति दलों ने अपने वोट बैंक को खुश करने के लिये भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार दिया था और भगवान राम को काल्पनिक सिद्ध करने में लग गए थे।
हर सनातनी धर्म वाले ने रामायण पढ़ी है और रामायण को जाना भी है फिर भी राजनीति दलों ने अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिये रामायण को ही झुठला दिया था। राम की जन्मभूमि अयोध्या के प्रमाण देने के लिये रामभक्तों को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा। वहां भी विरोधियों ने कितनी ही झूठी दलीले दी ओर राम को नकारा तक दिया था। यही नहीं रामायण के हर वृतांत को भी झुठला दिया।

रामभक्तों को राम को सत्य साबित करने के लिये सुप्रीम कोर्ट में सालो लग गए पर उस समय राम को काल्पनिक कहने वाले राजनीति दलों का दिल नहीं पसीजा। यह जानते हुए भी की मृत्यु के उपरांत ऊपर वाले को अपने मनुष्य जन्म का हिसाब किताब भी देना है। लेकिन सत्ता पाने की लालसा में वह सारे नियम धर्म भूल गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जब राम के पक्ष में फैसला सुनाया तो वह फैसला भी इन्हें इतनी आसानी से मंजूर नही था। वही आज जब अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास है तो उसमे में भी कई प्रकार के विरोधाभास लोगो ने शुरू कर दिए।


वेसे तो भारत 1947 मे आज़ाद हो गया था पर सेक्यूलर सोच का गुलाम जरूर बन गया था। जिससे इतनी आसानी से छुटकारा मिलना सम्भव नही है। भारतवर्ष युगों – युगों से सन्तो की धरती रही है। यह वह तपोभूमि है जहाँ भगवान ने अलग – अलग रूप में अवतार लिए है ओर दुष्टो का संहार किया है। साथ ही इस धरती पर कितने ही अवतारी पुरुषों ने जन्म लिया है अधर्मी लोगो के दिलो में धर्म को जगाने के लिये। आज राम को काल्पनिक मानने वालो के दिलो में राम बस रहा है। राजनीति दलों ने राजनीति के चलते अपने कार्यकर्ताओं को राम कि पूजा का आदेश तक दे दिया है। अब चलो इस बहाने कुछ तो भक्ति का रस कार्यकर्ताओं को मिलेगा। लेकिन राम की पूजा के लिए किसी आदेश की क्या जरूरत है, राम की पूजा तो मन से, वचन से और कर्म से ही पूर्ण होती है।

Post Author: Vijendra Upadhyay