देवास। साहित्य, रंगमंच एवं ललित कलाओं के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती, देवास इकाई द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ स्वतंत्रता संग्राम में देवास के वीरों की सहभागिता की पृष्ठभूमि पर किया गया। सन 1939 के द्वितीय विश्वयुद्ध में देवास सीनियर राज्य के नरेश महाराजा श्रीमंत विक्रम सिंह पवार ने देवास से 40 बहादुरों को लड़ाई लडऩे भेजा था। ये बहादुर सेनानी सिंगापुर में युद्धरत रहे, परन्तु 1942 में इन्हें जापानियों ने कैद कर लिया, इसी दौरान ये नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिन्द फ़ौज में सम्मिलित हो गए। जापानियों की कैद से मुक्त हो इन सैनिकों ने नेताजी के नेतृत्व में रंगून होते हुए मोरेतम्बू में अराकान की पहाडिय़ों पर दुश्मन को बहुत बड़ी संख्या में क्षति पहुंचाई। बाद में ये वीर बर्मा फ्रंट से थाईलैंड आये तथा 1945 में विश्वयुद्ध की समाप्ति पर इन्हें अंग्रेजों ने बंदी बनाकर उन्हें कलकत्ता में कैद कर दिया तथा अप्रैल 1946 में मुक्त किया। देश के आजाद होने पर इन्हें भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित कर खिताब के साथ प्रशस्ति पत्र व ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया गया। आजादी के अमृत महोत्सव पर संस्कार भारती की कविता सिसोदिया व दिव्यांशी पांचाल ने सेनानियों के घर-आँगन को संस्कार भारती शैली की आकर्षक रंगोली से अलंकृत किया। इन वीरों स्व.श्री बाजीराव जाधव, लांस नायक स्वतंत्रता सेनानी, आय.एन.ए. आजाद हिन्द फ़ौज की पुत्री इतिहासकार मीना जाधव व उनके भाई और स्व. गोकुलसिंह ठाकुर, सिपाही स्वतंत्रता सेनानी आजाद हिन्द फौज की पुत्री कृष्णा बाई का पुष्प गुच्छ, श्रीफल व मानद मंजूषा के साथ स्वागत किया।
प्रान्त संगठन मंत्री व कार्यक्रम संयोजक प्रकाश पंवार, अपने संबोधन में आजाद हिंद फौज मे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में भारत की आजादी के लिए लडऩे वाले इन रणबांकुरे योद्धाओं वीर सैनिकों की शोर्य गाथाओं का वर्णन करते हुए इनके समर्पण त्याग और बलिदान को याद करते हुए कहा कि ऐसे आजाद हिंद फौज के जांबाज वीर स्वर्गीय रणबांकुरे को याद करते हुए इनके परिवार सदस्यों का सम्मान कर हम अत्यंत गर्व और सौभाग्य का अनुभव करते हैं। साथ ही संकल्प लिया गया कि देश की स्वतंत्रता के लिए इन महान सैनिकों की शौर्य सहासिक संघर्षपूर्ण गाथा को पूरे देशवासियों तक संस्कार भारती गर्व का अनुभव करते हुए पहुंचाएगी, जिससे आने वाली पीढ़ी इन से प्रेरणा लेकर देश के लिए सर्वस्व निछावर करने के लिए तैयार है। सम्मान कार्यक्रम में उपस्थित संरक्षकगण डॉ. रमेश सोनी, शशिकांत वझे, महामंत्री माधवानंद दुबे , भू-अलंकरण विधा प्रांतीय अधिकारी कविता सिसोदिया व दिव्यांशी पांचाल, उमेश जोशी ने भी उन्हें सम्मानित किया।