पाकिस्तान के खिलाफ 1965 जंग के हीरो नही रहे

पाकिस्तान के खिलाफ 1965 जंग के हीरो रहे एयर मार्शल अर्जन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। अर्जन सिंह ने दिल्ली के आरआर हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। उन्हें शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने का बाद दिल्ली के आरआर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। अर्जन सिंह को फील्ड मार्शल के समकक्ष पांच सितारा रैंक पर प्रोन्नत किया गया था। सेना में फील्ड मार्शल के बराबर ही वायुसेना में मार्शल होता है। सेना प्रमुख और एयर चीफ मार्शल 4 स्टार जनरल होते हैं जबकि फील्ड स्टार जनरल 5 स्टार जनरल होते हैं।
अर्जन सिंह को साल 2002 में मॉर्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स का सम्मान दिया गया। देश में अब तक एयर मार्शल अर्जन सिंह, फील्ड मार्शल मानिक शॉ और केएम करियप्पा को ही 5 स्टार रैंक मिली है, मार्शल कभी सेना से रिटायर नहीं होते हैं। अर्जन सिंह 2002 में 5 स्टार रैंक के लिए प्रमोट हुए थे।
*अर्जन सिंह का सफरनामा…*
– अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल, 1919 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था
– 19 साल की उम्र में अर्जन सिंह ने रॉयल एयरफोर्स कॉलेज ज्वॉइन किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अर्जन सिंह ने बर्मा में बतौर पायलट और कमांडर अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन किया
– अर्जन सिंह के प्रयासों की बदौलत ही ब्रिटिश भारतीय सेना ने इंफाल पर कब्जा किया। इसके बाद उन्हें डीएफसी की उपाधि से नवाजा गया
– 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद अर्जन सिंह को ऑपरेशनल ग्रुप का कमांडर बनाया गया। यह ग्रुप भारत में सभी तरह के ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है
– 1964 में उन्हें चीफ ऑफ एयर स्टॉफ बनाया गया। 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में अर्जन सिंह ने आगे बढ़कर वायुसेना के अभियानों का नेतृत्व किया
– पाकिस्तान के खिलाफ जंग में अर्जन सिंह ने अद्भुत नेतृत्व क्षमता दिखाई और पाकिस्तान के भीतर घुसकर भारतीय वायुसेना ने कई एयरफील्ड्स तबाह कर डाले
– उन्होंने चीन के साथ युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी
– उन्होंने 1 अगस्त, 1964 से 15 जुलाई, 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ का पद संभाला था
– 1965 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था
– 1971 में अर्जन सिंह को स्विटरलैंड में भारत का एंबेसडर नियुक्त किया गया। इसके अलावा उन्होंने वेटिकन और केन्या में भी देश के लिए अपनी सेवाएं दीं
– अर्जन सिंह ही केवल ऐसे चीफ ऑफ एयर स्टॉफ हैं जिन्होंने एयरफोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार पांच साल अपनी सेवाएं दीं
– 96 साल की अवस्था में अर्जन सिंह ने व्हीलचेयर पर बैठे हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को पालम एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि दी
– अप्रैल 2016 में अर्जन सिंह के 97वें जन्मदिन के मौके पर चीफ ऑफ एयर स्टॉफ एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने पश्चिम बंगाल स्थित पनागढ़ एयरफोर्स बेस का नाम अर्जन सिंह के नाम किया। पनागढ़ एयरबेस अब एमआईएफ अर्जन सिंह के नाम से जाना जाता है। यह पहली बार था जब एक जीवित ऑफिसर के नाम सैन्य प्रतिष्ठान का नाम उसके नाम पर रखा गया
– जून 2008 में सैम मानेक शा के निधन के बाद अर्जन सिंह भारतीय सेना के फाइव स्टार रैंक वाले एक मात्र जीवित ऑफिसर थे
– वायुसेना के इतिहास में एयर वाइस मार्शल के पद पर सबसे लंबे समय तक सेवा देने का रिकॉर्ड अर्जन सिंह के नाम था.

Post Author: Vijendra Upadhyay

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