कथा के माध्यम से समाज में जागृति लाने की आवश्यकता
सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर पद्मश्री बाबा बलियाजी महाराज ने कहा
देवास। धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक मानव अधिकार है और किसी को भी अपनी आस्था बदलने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। वर्तमान में जबरन धर्मांतरण करने के कई मामले सामने आ रहे है, जिन पर सरकार के माध्यम से तत्काल अंकुश लगना चाहिए। इसके लिए साधु-संतों को भी अपनी कथा के माध्यम से समाज में जागृति लाने की आवश्यकता है। वहीं भ्रष्टाचार मुक्त लोकतांत्रिक राजनीति होना चाहिए। उक्त बात नर्मदापुरम से लौटे अनंत बलिया ट्रस्ट उड़ीसा के प्रमुख पद्मश्री बाबा बलिया जी महाराज ने कही।
इन दिनों बलियाजी महाराज मप्र के दौरे पर है। उन्होंने पहले नर्मदापुरम में जाकर मां नर्मदा किनारे पर पूजा-अर्चना व अभिषेक किया। तत्पश्चात वे महाकाल मंदिर उज्जैन पहुंचे थे और वहां से लौटते समय कुछ देर के लिए देवास रुके। यहां पर उन्होंने सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार हमारे लोकतंत्र की वृद्धि व विकास में बड़ी बाधा बन रहा है। ये विश्वास को भी खत्म कर रहा है और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी हो रही है, इसीलिए भ्रष्टाचार विरोधी कानून सख्ती के साथ लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भागवत कथा व रामकथा का वाचन करने वाले संत नहीं होते और कुछ लोग अंधविश्वास को बढ़ा रहे है। अंधविश्वास भय और अज्ञानता से पनपता है। यह हानिकारक कथाओं को कायम रखता है, इसीलिए हमें अंधविश्वास को खत्म करना चाहिए। उन्होंने पं. धीरेंद्र शास्त्री व पं. प्रदीप मिश्रा को लेकर पूछे गए एक सवाल को बड़ी सहजता के साथ यह कहते हुए टाल दिया कि वे किसी अन्य के बारे में बात नहीं कर सकते है, किंतु सभी को सनातन संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए। तभी इस देश का भला होगा। अंत में उन्होंने देश की युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे तंबाकू, सिगरेट व शराब तथा अन्य मादक पदार्थों से दूर रहे।
वही उनसे पूछा गया कि अन्य धर्म के लोग गरीबों को पैसे, नौकरी, शादी का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कर रहे है। तो सनातन धर्म के संत धर्म परिवर्तन को क्यों नहीं रोक पाते? क्यों वह सनातनी गरीबों को भला कर पाते?
इस पर महाराज ने कहा कि हम अब इस विषय पर ही कार्य करने की योजना बना रहे है। हमारे आश्रम द्वारा गरीब लड़कियों की शादी भी की जाती है।


