शिव के रूप मे रहस्य छुपे है…

श‍िव जी के रूप को देखकर एक अलौलिक अनुभव होता है और ओर उनकी धारण की हुई चीजो के पीछे भी रहस्य है…..

विष पीना:
शिव जी ने समुन्द्र मन्थन के समय अमृत सभी देवताओ को दे दिया ओर ख़ुद ने विष पीया, जो त्याग का प्रतीक है।

त्रिशूल : 
शिव जी का त्रिशूल तीन शक्तियों का प्रतीक है और ये हैं – ज्ञान, इच्छा और परिपालन का रूप है।

जटाओं में चेहरा :
श‍िव जी की जटाओं मे गंगा नदी है, ओर गंगा का प्रवाह इतना है की पूरी पृथ्वी डूब सकती है इस लिए गंगा ने शिव की जटा मे अपना स्थान बनाया।

माथे पर तीसरा नेत्र :
श‍िव जी के माथे पर जो तीसरा नेत्र नजर आता है, उसे ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, कहते हैं कि उनके क्रोधि‍त होने पर ही यह खुलता है और सब कुछ भस्म कर देता है. वैसे इसकी शक्त‍ि बुराइयों और अज्ञानता को खत्म करने का सूचक भी मानी जाती है।

बाघ की खाल :
श‍िव जी बाघ की खाल ओढ़े हैं या फिर वे इस पर विराजमान हैं. यह निडरता और निर्भयता का प्रतीक है।

रुद्राक्ष माला :
श‍िव जी ने रुद्राक्ष धारण किया है जो प्रतीक होता है शुद्धता का. श‍िव जी कई जगह रुद्राक्ष की माला भी अपने दाहिने हाथ में पकड़े दिखते हैं. यह ध्यान मुद्रा का सूचक है।

गले में नाग :
शिव जी के गले में लटका नाग पुरुष के अहम का प्रतीक है।

सिर पर चांद :
शूंभनाथ के सिर पर सजा चांद बताता है कि काल पूरी तरह उनके बस में है।

डमरू :
शि‍व जी के त्रिशूल से बंधा डमरू वेदों और उन उपदेशों की ध्वनि का प्रतीक है जो भगवान ने हमें जीवन की राह दिखाने के लिए दिए हैं।

Post Author: Vijendra Upadhyay

Leave a Reply