सनातन को समाप्त करने की ताकत किसी में नहीं

सनातन को समाप्त करने की ताकत किसी में नहीं

संस्था धर्मपथ के आयोजन में पहुंचे राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने अनवरत 2 घंटे 35 मिनट तक रखी बात

देवास। पूरे देश में चिंता जताई जा रही है कि सनातन खतरे में है। सनातन कोई पेड़-पौधा या मशीन नहीं है, जिसे समाप्त किया जा सकता है। जब तक ब्रह्माण्ड रहेगा, तब तक सनातन रहेगा। इसे कोई समाप्त नहीं कर सकता। सनातन को समाप्त करने की बात वे लोग कर रहे है, जो रेगिस्तान में ऊंट की पीठ पर खड़े होकर खजूर तोड़ा करते थे, जिनका खुद का कोई वजूद नहीं है। 1400 वर्ष पहले इस्लाम आया और 2000 साल पहले ईसाई आए। पैगम्बर आए और चले, फादर आए और वो भी चले गए। प्रकृति का नियम है कि जिसने जन्म लिया, उसे मरना है। जबकि सनातन कब आया, किसी को पता नहीं है, इसीलिए सनातन तब तक रहेगा, जब तक ब्रह्माण्ड रहेगा। उक्त ओजस्वी उद्गार राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने देवास में व्यक्त किये। वे स्व. सुनील जोशी के बलिदान दिवस पर संस्था धर्मपथ पर आयोजित विशाल सभा में वर्तमान परिदृश्य में देश के समक्ष चुनौतियां एवं समाधान विषय पर संबोधित करने देवास आए थे। स्थानीय गोकुल गार्डन में करीब 4 हजार से अधिक लोगों की उपस्थिति में सर्वप्रथम अतिथियों ने मां भारती के चित्र पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात अतिथियों का परिचय कराया गया। मंच पर अतिथि के रूप में पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ के अलावा गोपालकृष्ण दास महाराज, रामचरण पटेल, वासुदेव परमार मौजूद थे। अतिथियों के स्वागत पश्चात गोपालकृष्ण महाराज ने स्व. सुनील जोशी के जीवन पर प्रकाश डाला और उन्हें वीर बलिदानी बताते हुए कहा कि जिस संगठन के लिए सुनील जोशी ने मेहनत की थी, बाद में वही संगठन उन्हें भूल गया। तत्पश्चात राष्ट्रीय विचारक पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने माइक संभाला। उनके माइक पर आते ही कार्य स्थल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा और जय श्रीराम के नारे गूंज उठे। उन्होंने अपने चित-परिचित अंदाज में कहा कि सुनील जी के बारे में कुछ ऐसी बातें भी है, जो मंच से साझा नहीं की जा सकती है। सुनील भाई ने जो तय किया था, वह कर दिया। अब कुछ लोग ज्ञान दे रहे है। हम अच्छे वक्त में उसके साथ खड़े होते है और जब वही व्यक्ति कुछ गलत कर देता है, तो उसका साथ छोड़ देते है। कुछ ऐसा ही सुनील जोशी के साथ हुआ। आप यहां पर इतनी संख्या में आए है, इसी बात से शत्रु चिंतित है। हमारा शत्रु एक आंतरिक है और एक बाहरी। 70 साल के सफर में पहली बार भारत में बहादुर व्यक्ति के साथ लोग खड़ा होना सीख गए है। उन्होंने कहा कि जिस दिन सनातनी हिंदू झूठ बोलना व सुनना बंद कर देगा, उस दिन दुनिया की कोई भी ताकत सनातनी को झूका नहीं पाएगी। पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने करीब ढाई घंटे तक धाराप्रवाह विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखी।

नेहरू और गांधी परिवार को जमकर आड़े हाथ लिया

श्री कुलश्रेष्ठ ने अपने उद्बोधन के दौरान नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सन् 1968 में राजीव गांधी की शादी हुई और 1970 में आलू से सोना बनाने वाले का जन्म हुआ और दो साल बाद 1972 में एक बेटी का जन्म हुआ। जिसके बारे में बताया गया कि उसकी नाक उसकी दादी जैसी है, किंतु किसी ने भी फिरोज गांधी का कोई योगदान नहीं बताया। इसके बाद उन्होंने राजीव गांधी, संजय गांधी की मौत का भी जिक्र किया और यह भी कहा कि 1980 में संजय गांधी के यहां वरूण गांधी पैदा हुए थे और इसी साल संजय गांधी की मौत हो गई थी। इसके बाद मेनका गांधी को इंदिरा जी ने घर से बाहर निकाल दिया और 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा जी की हत्या हो गई। तब राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाया और 5 साल बाद उनकी भी हत्या हो गई। बाद में सोनिया गांधी को मानवता इतनी भायी कि उन्होंने राजीव गांधी के हत्यारों को ही माफ कर दिया। जबकि वे सिर्फ किसी के पति नहीं थे, बल्कि वे देश के प्रधानमंत्री थे। इसीलिए उनकी हत्या के आरोपियों को क्या सजा मिलना चाहिए, यह तय न्यायालय को करना था।

पाखंडी नेता बताते हैं मंदिर-मस्जिद को एक

उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है, जो सत्ता से गाइड होता है। समाज तय नहीं करता है कि हमें क्या करना है। यह सत्ता तय करती है। मंदिर-मस्जिद एक ही है, यह कहा जाता है, किंतु आपने कहा पढ़ा। न तो रामायण पढ़ी है, ना महाभारत पढ़ी है, किंतु कुरान की बात करते है, क्योंकि उन्हें अपनी राजनीति की दुकान चलाना है। मैं मानता हूं कि आपका शत्रु ईमानदार है, जो कम से कम 5 वक्त की नमाज पढ़ता है। चाटूकार, दलाल किस्म के लोग राजनेताओं के लिए एक हो सकते है, पर सनातन हिंदुओं के लिए एक नहीं हो सकते है। आज के नेता मंदिर-मस्जिद को एक बताते है। यह पाखंडी नेताओं द्वारा प्रचारित किया जाता है। हमारे संस्कार, हमारी आस्था हमें यही बताती है कि मंदिर निर्माण से पहले भूमिपूजन होता है। जब तक पत्थर मंदिर के बाहर होता है, तब तक वह पत्थर ही होता है, किंतु मंदिर में आते ही मंत्रोच्चार से प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है, तब हम उसे पूजने लगते है। जबकि मस्जिद में पत्थर ही पत्थर भरे होते है, इसीलिए दोनों कभी एक नहीं हो सकते है।

दो कौड़ी का नेता आपको खरीद लेता है और आपको शर्म तक नहीं आती

कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हमारे देश के सांसदों और विधायकों की जिम्मेदारी है कि वे सदन में बैठकर सनातन की बात करें और जब वे सनातन की बात नहीं करते है तो आपके साथ बेईमानी करते है। उन्हें इस बात का डर होता है कि उनका वोट बैंक खिसक जाएगा। आज आप लोग 2 रुपये किलो चावल व मुफ्त की बिजली में खरीदे जा रहे है। आप इतने सस्ते कब हो गए कि इतनी कम कीमत में आपको खरीद लिया जाता है और आप अपने राजा को चुन लेते है। उन्होंने राष्ट्र और देश में भी अंतर बताते हुए कहा कि राष्ट्र किसी संविधान से नहीं चलता। राष्ट्र का कोई प्रधानमंत्री नहीं होता, राष्ट्र कभी टूटता नहीं है। जबकि देश एक भूमि के टुकड़े को कहते है। जब राष्ट्र 2 रुपये किलो चावल व मुफ्त की बिजली में बिकने लगे तो समझ लेना, राष्ट्र टूटने लगा है। दो कौड़ी का नेता आपको खरीद लेता है और आपको शर्म तक नहीं आती है। जबकि भाईजान मुफ्त का चावल भी लेता है और बिजली भी लेता है, पर भाईजान वोट वहीं देता है, जहां उसे देना होता है। हमारे यहां उस समय मौन जुलूस निकाला जाता है, जब बांग्लादेश में कुछ घटना होती है। यह सिर्फ पाखंड है, क्योंकि जब कश्मीर में हमारे भाईयों को मारा और काटा जाता है, बहनों की अस्मत लूटी जाती है, तो यही मरा हुआ समाज अपने स्वार्थ में डूब जाता है और अपनी जुबान तक नहीं खोलता है।

Post Author: Vijendra Upadhyay