फायर बिग्रेड स्टेशन से लगी जमीन निजी कंपनी को आवंटित करने का मामला
देवास। फायर ब्रिगेड स्टेशन से लगी हुई जमीन निजी संस्था वेलस्पून को आवंटित कर दी गई है जबकि दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना हेतु आवंटित करना थी जो कि देवास के लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मसला है। जबकि औद्योगिक इकाइयों से लगे कुछ वार्ड जल प्रदूषण से अधिक प्रभावित हैं। यहां के रहवासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए निजी संस्था को जमीन आवंटित करने की बजाय दूषित जल उपचार संयंत्र के लिए आवंटित करना चाहिए थी लेकिन इन लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या को भी दरकिनार कर दिया गया। सामाजिक कार्यकर्ता ललित चौहान ने सवाल उठाते हुए बताया कि क्या जिला उद्योग अधिकारी एवं कर्मचारियों को समस्या नहीं मालूम थी कि यहां पर वाटर पॉल्यूशन हो रहा है या मालूम होने के बाद भी समस्या को अनसुना कर दिया गया। इन अधिकारियों द्वारा ऐसा क्यों किया गया यह जांच का विषय है।
चौहान ने बताया मेरे द्वारा एकेवीएन (औद्योगिक केंद्र विकास निगम) उज्जैन में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 14 मई 2018 को आवेदन लगाया गया कि आपके विभाग द्वारा वेलस्पून वाटर प्रोजेक्ट को आवंटित जमीन की लीज डीड की प्रमाणित दस्तावेज देने की कृपा करें लेकिन एकेवीएन द्वारा दस्तावेज ना देते हुए 5 जून को एक पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया गया कि यह निजी जानकारियां है जो कि देना संभव नहीं है और आपका दस्तावेज लेने का कारण जनहित में नहीं है। इस हेतु यह दस्तावेज हम आपको नहीं दे सकते हैं। जबकि सन 2012 से दूषित जल उपचार संयंत्र के लिए एकेवीएन उज्जैन, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र देवास, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हेड ऑफिस भोपाल इन विभागों का आपस में कई बार पत्र व्यवहार हुआ, बैठकें हुई उसके बाद भी एकेवीएन के अधिकारी कह रहे हैं कि यह जनहित का मामला नहीं है, यह हास्यास्पद बातें हैं। एकेवीएन के अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों का छुपाया जाना कई शंकाओं को जन्म दे रहा है कि क्यों एकेवीएन के अधिकारी दस्तावेज छुपा रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देवास के अधिकारियों के द्वारा इस विषय पर चुप्पी साध लेना कई शंकाओं को जन्म दे रहा है। क्या निजी कंपनी को कौडिय़ों के भाव जमीन दी गई है। क्षेत्रीय कार्यालय होने के बावजूद अधिकारियों द्वारा जमीन आवंटन हेतु सक्रिय नहीं होना भी सवालों के घेरे में है। क्या दूषित जल उपचार संयंत्र डालने से कुछ औद्योगिक इकाइयों का आर्थिक नुकसान होगा जिसको कुछ विभाग बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं। फायर ब्रिगेड को आवंटित जमीन में से फिर कुछ जमीन वापस लेने के लिए किन-किन लोगों के द्वारा दबाव बनाया गया या पत्र व्यवहार किया गया किन विभागों के द्वारा किया गया यह भी जांच का विषय है कि विभागों की जल्दबाजी इस जमीन को निजी संस्था आवंटित कराने हेतु क्यों थी।