चल समारोह की परंपरा नहीं टूटने दी देवासवासियों ने

  • प्रशासन करता रहा इंकार, फोटो बाज नेता भी रहे गायब

देवास। कोरोना की दुहाई देकर जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार दूसरे वर्ष भी मां दुर्गा के विसर्जन चल समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया था और एसडीएम ने अनुमति देने से साफ इंकार कर दिया था। इतना ही नहीं स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि यदि किसी ने जुलूस निकालने का प्रयास किया तो उसके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जाएगी, किंतु मां के भक्त किसी भी कार्यवाही का सामना करने के लिए तैयार थे और अपने देवास की एतिहासिक परंपरा को टूटने नहीं देना चाहते थे, लिहाजा योजना अनुसार दोपहर करीब 1 बजे से प्रतिमाओं का आना प्रारंभ हो गया। देखते ही देखते चल समारोह मार्ग पर एक के बाद एक प्रतिमाएं आने लगी और मार्ग के दोनों ओर महिला, पुरुष व बच्चे सैकड़ों की संख्या दर्शक के रूप में पहुंच गए। दुकानों व घरों के ओटलों पर हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए। उधर इस बात की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन अलर्ट हुआ और सयाजी द्वार से लेकर नाहर दरवाजा तक पुलिस बल तैनात कर दिया गया। पुलिस अधिकारी प्रतिमाओं को शहर के अंदर जाने से रोकते रहे, किंतु उनकी एक ना चली और शाम होते-होते 49 प्रतिमाएं जुलूस के रूप में शामिल हो गई। जिसमें हजारों भक्त भी शामिल हुए, जो ढोल की थॉप पर थिरकते रहे। पिछले 9 दिनों से चामुण्डा टेकरी पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आए थे। वहीं दशहरे के दिन पुलिस लाइन में रावण दहन का कार्यक्रम हुआ था। वहीं शनिवार को सतवास में मुख्यमंत्री का रोड शो भी हुआ, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे, किंतु जिला प्रशासन ने चल समारोह को अनुमति देने के लिए तैयार नहीं था। इसी बात से हिंदू संगठन के कार्यकर्ता नाराज थे और उन्होंने अपनी परंपरा को जारी रखते हुए विसर्जन चल समारोह निकालने का निर्णय लिया और आखिरकार वे सफल भी हो गए। 

मार्ग को किया परिवर्तित

विसर्जन चल समारोह सयाजी द्वार से प्रारंभ होकर नावेल्टी चौराहा, अलंकार मार्केट, पीठा रोड, तीन बत्ती चौराहा, पुराना बस स्टैंड चौराहा, जवाहर चौक, नयापुरा होते हुए तुकोगंज रोड से जनता बैंक, गांजा भांग चौराहा होते हुए पुन: एमजी रोड पर आता है, किंतु इस बार प्रशासन ने नयापुरा चौराहा से मार्ग को परिवर्तित करते हुए चल समारोह को नाहर दरवाजे से एबी रोड पर रवाना कर दिया। हालांकि एसडीएम प्रदीप सोनी व सीएसपी विवेक सिंह चौहान को नावेल्टी चौराहा से मार्ग बदल रहे थे, किंतु चल समारोह में शामिल समिति के पदाधिकारियों ने मार्ग बदलने से इंकार कर दिया और चल समारोह नयापुरा तक पहुंचा।

भाजपा-कांग्रेस के नेता रहे नदारद

यह पहला अवसर था कि जब दुर्गा विसर्जन चल समारोह में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के नेता नदारद थे। इक्का-दुक्का नेता जरूर नजर आए, किंतु जो नेता पिछले कई वर्षों से विसर्जन चल समारोह के माध्यम से लोगों के बीच जनसंपर्क करते थे, वे आज दूर-दूर तक नजर नहीं आए। भाजपा नेता तो प्रदेश सरकार द्वारा जारी कोरोना प्रोटोकॉल की दुहाई देकर किनारा कर गए, किंतु कांग्रेसी नेता चल समारोह में शामिल क्यों नहीं हुए, यह समझ से परे है। 

आजाद वीर सावरकर संस्था ने की अगुवाई

प्रतिवर्ष नवदुर्गा विसर्जन चल समारोह की अगुवाई खेड़ापति मंदिर के सामने खेड़ापति रामायण मंडल के पदाधिकारियों द्वारा की जाती है और यहीं से प्रतिमाओं को नंबर आवंटित किए जाते है तथा भव्य पैमाने पर आलूबड़े के प्रसाद का वितरण भी होता है, किंतु इस बार प्रशासन की सख्ती को देखते हुए खेड़ापति रामायण मंडल ने अपने पांव पीछे खींच लिए थे। ऐसी स्थिति में हिंदू संगठन से जुड़ा आजाद वीर सावरकर नामक संस्था सामने आई और खेड़ापति मंदिर से पहले अपना मंच लगाकर विसर्जन चल समारोह की अगुवाई प्रारंभ की। यहीं से नंबर भी आवंटित किये गए। हालांकि कुछ देर बाद खेड़ापति रामायण मंडल की टोली सक्रिय हुई और उन्होंने ने भी अपनी परंपरा निभाते हुए एक मंच तैयार किया, जहां से समितियों के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का स्वागत किया गया। साथ ही उनके द्वारा भी नंबर जारी किए गए। हालांकि इस बार आलूबड़े की प्रसाद का वितरण नहीं हो सका। 

Post Author: Vijendra Upadhyay