ईश्वर अज्ञात ह उसको जानने के लिये आत्ममंथन करना होगा – अनुराधा नागर

चौथे दिन रही कृष्ण जन्मोत्सव की रही धूम
देवास। गौ आत्म चिंतन एवं प्रशिक्षण सेवा एवं सामाजिक कल्याण समिति के तत्वावधान में गौ ज्ञान चिंतक संत श्री मौनी बाबा के सानिध्य में अनुराधा नागर ने कथा के चौथे दिन कहा कि मनुष्य को अध्यात्म व संस्कृति की राह पर चलना ही श्रेष्ठ कार्य है।
भेड चाल नहीं चलें, वही राह चुने जो सबसे अलग हो। ताकि इसमें आपका आईन परिलक्षित होगा। दिन में एक बार आत्मा से परमात्मा का नाम जरूर लेवें जिससे आपका जीवन सुधर सके। ईश्वर अज्ञात है उसको जानने के लिये आत्म मंथन करना जरूरी है। वह सर्वोपरि है प्रत्येक समस्या का निदान उसी के हाथ में है। अनुराधाजी ने आगे कहा कि आवश्यक हो उतना ही संग्रह करें, अधिक संग्रह दुखदायी होगा। यह आपका सुख चैन सभी छीन लेता है। प्रसंग बदलते हुए कहा कि राजा भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा है इसलिये हमें इसकी संस्कृति को बचाकर रखना चाहिये। जो ज्यादा बोलता है उसकी ऊर्जा शीघ्र खत्म हो जाती है, सबसे बड़ी भाषा मौन की मानी जाती है जो कुछ नहीें बोलने पर भी सब कुछ बोल जाता है। हमें मन की चंचलता को दूर करना होगा, मन का आत्मा से मिलन कराना होगा तभी प्रभु प्राप्ति हो सकेगी। गौ पुष्टि यज्ञ चरणसिंह ठाकुर द्वारा किया गया, आरती के मुख्य अतिथि पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर थे। संचालन कवि दिनेश पाठक ने किया। उक्त जानकारी आनंद गुप्ता ने दी तथा आभार अरविंदसिंह राजपूत ने माना।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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