श्री शीलनाथ जी की पुण्याई से बना शांति का टापू देवास – श्रीमंत गायत्री राजे

देवास। श्री शीलनाथ जी की पुण्याई के कारण ही देवास शांति का टापू बना। आज जब संपूर्ण विश्व योग को स्वीकार कर योग को अंगीकार कर रहा है। इस महान योगीनाथ ने योग क्रियाओं के द्वारा जनसाधारण को लाभांवित किया। उक्त उद्गार गुरूपूर्णिमा की पूर्व संध्या पर श्री शीलनाथ धुनी संस्थान पर आयोजित पुस्तक अथ: श्री शीलनाथ कथा के विमोचन अवसर पर श्रीमंत गायत्री राजे पवार ने कहे।
संत शिरोमणि योगेन्द्र श्री शीलनाथ महाराज के जीवन वृत्तांत पर आधारित अथ:श्री शीलनाथ कथा का विमोचन कार्यक्रम श्री शीलनाथ धुनी संस्थान द्वारा आयोजित किया गया। पुस्तक के लेखक दिलीपसिंह जाधव है। परम विद्वान श्रीराम पुजारी के आत्मीय आग्रह पर लिखी गई इस पुस्तिका में योगेन्द्र शीलनाथ महाराज के समग्र जीवन को संक्षिप्त में प्रस्तुत किया गया है। इस अवसर पर महापौर सुभाष शर्मा, नवागत जिला कलेक्टर श्रीकांत पाण्डेय विशेष रूप से उपस्थित थे। श्री पाण्डेय ने अपने संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि शब्दों का संसार मानव को अंदरूनी ताकत देता है। शीलनाथ धूनी संस्थान एक पुनीत, पावन और प्रेरक स्थान है। महापौर सुभाष शर्मा ने कहा कि विश्व पटल पर आज देवास का विश्ष्टि स्थान इसलिए है कि माँ चामुण्डा की यह नगरी संतों की तपोभूमि है और मूर्धन्य गायकों की साधना स्थली है।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान की भजन मंडली द्वारा प्रस्तुत श्री गणेश वंदना से हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए संजय शेलगांवकर ने कहा कि इस धरा पर संत विशिष्ट कार्यो के संपादन हेतु अवतरित होते हैं। कथासार के लेखक दिलीपसिंह जाधव ने श्री शीलनाथ जी महाराज के जीवन के सूक्ष्मतम उत्कृष्ट पहलुओं पर प्रकाश डाला है।
इस पावन अवसर पर सुप्रसिद्ध कवियत्री डॉ प्रफुल्लता जाधव एवं संस्थान के वयोवृद्ध भजन गायक नारायणजी को शाल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। जयंत विपट ने शीलनाथ जी महाराज का जीवन परिचय दिया। कार्यक्रम के सूत्रधार संस्थान के न्यासी अजीत भल्ला थे। आभार हेमंत शर्मा ने माना।

Post Author: Vijendra Upadhyay

Leave a Reply