शेखर कौशल, देेेवास
देवास। चन्द्रमौली अर्थात सिर पर चन्द्रमा को धारण करने वाले भगवान शिव। इस नाम की राशि मीन होती है। मीन राशि के आराध्य देव विष्णु (सत्यनारायण भगवान) को माना जाता है। चन्द्रमौली नाम वाले सवेंदनशील होते है। दुसरो के दुख से वे भी दुखी हो जाते है। परोपकारी होते है। इनका स्वामी बृहस्पति और शुभ अंक 3 होता है।। इस अंक के लोग अपनी जिम्मेदारियो को अच्छी तरह से निभाते है। देवास कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला को इस दृष्टि से देखा जाये तो वे यथा नाम तथा गुण वाले जिलाधीश के तौर पर उभरकर सामने आते है।
यह किसी प्रकार से लागलपेट, कार्यसिद्धि अथवा चारणवंदना के वशीभूत उल्लेखनीय नहीं, अपितू कलेक्टर श्री शुक्ला के कार्य, व्यवहार में सवेंदनशीलता, परोककार, दयाभाव परिलक्षित होता है।
विगत दिवस कलेक्टर श्री शुक्ला के समक्ष 21 वर्षीय युवक वेद श्रीवास्तव अपने पिता के साथ पहुंचा। युवक ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि मेरी किडनी खराब हो गई थी, जिसका ट्रांसप्लांट इंदौर के अरविंदो अस्पताल में किया गया था। उसके पिता महेंद्र श्रीवास्तव ने उसे किडनी दी थी। युवक ने बताया उसके पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, जहां से उन्हें 9 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं, लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मुझे 20 हजार रुपए प्रतिमाह की दवाई लगती है। जिसे लाने में जो मेरा परिवार लेने में सक्षम नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर मैंने दवाई समय नहीं खाई तो मेरी किडनी पुन: रिजेक्शन पर चली जाएगी। युवक की पीड़ा को गौर से सुनते हुए कलेक्टर ने सहृदयता दिखाते हुए अपने निजी प्रयासो से युवक वेद श्रीवास्तव को उसकी संपूर्ण दवाई उपलब्ध करवाई एवं ढांढस बंधाते हुए भरोसा दिलाया कि उसे कभी किसी तरह की तकलीफ नहीं होगी।
इसी प्रकार कलेक्टर के समक्ष एक वृद्ध विधवा महिला फरियाद लेकर पंहुची। विधवा ने कहा मेरा गुजर बसर नहीं हो पा रहा है। कुछ दिनो पहले एक हादसे का शिकार होकर चल बसा। मेरा पेट भरने वाला कोई नहीं है। कलेक्टर ने विधवा को तुरंत 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करवाई। ये दो उदाहरण तो हाल ही के हे। इससे पूर्व भी जुलाई 2020 की बात है।
कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला ने प्रदेश के कुछ टॉपर छात्रों को सम्मानित करने के लिए अपने कार्यालय बुलाया था। देवास की होनहार छात्रा युक्ता चौधरी ने मध्य प्रदेश 10वीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम में टॉप 3 पोजिशन प्राप्त की। युक्ता ने बोर्ड परीक्षा में 300 में से 299 नंबर हासिल किए हैं। युक्ता ने कभी नहीं सोचा होगा कि वोर्ड जैसे कठिन एग्जाम को क्लियर करने से पहले, भले ही कुछ समय के लिए, ही उसे ‘कलेक्टर बनने’ का मौका मिलेगा। युक्ता ने बातचीत मेंं अपने अफसर बनने के सपने के बारे मेंं कलेक्टर को बताया। युक्ता का यह सपना कलेक्टर श्री शुक्ला ने साकार किया। कलेक्टर अपनी कुर्सी से उठ गये और युक्ता को अपनी कुर्सी पर बिठा दिया। युक्ता को कठिन परिश्रम और समर्पण के बल अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, जिससे युक्ता को कलेक्टर की जिम्मेदारी के पद का अहसास हुआ।