देवास। 108 श्रीमद भागवत पुराण लिये विद्वान पंडितों की शोभा यात्रा खेड़ापति मंदिर से हुई दर्शन पश्चात एम जी रोड, जनता बैंक चौराहा, जवाहर चोक होते हुए आयोजन स्थल मण्डी धर्मशाला पहुंची। शोभा यात्रा में श्रीमद भागवत मूल पाठ के 108 यजमान सहित नवनिधि सामाजिक संस्था के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए थे।
सुंदर बग्गी पर सवार भागवताचार्य पं. प्रदीप मिश्रा ने देवास वासियों का अभिनन्दन स्वीकार किया प्रमुख चौराहों पर विजयवर्गीय समाज, चित्तौड़ा समाज, स्वर्णकार समाज, जैन समाज, माहेश्वरी समाज, खण्डेलवाल समाज, पोरवाल समाज, अग्रवाल महिला प्रगति संगठन, अग्रवाल महिला मण्डल सहित अनेक सामाजिक संगठनों ने शोभा यात्रा का स्वागत किया। कलश यात्रा में भाजपा के वरिष्ठ नेता दुर्गेश अग्रवाल, एल्डरमेन भरत चौधरी, समाजसेवी राधेश्याम सोनी, अशोक सोमानी, रामेश्वर जलोदिया, सेवानिवृत्त सिविल सर्जन डॉ प्रकाश गर्ग, बसंत अग्रवाल, राजेश गोयल, भगवान गोयल, शरद अग्रवाल, कैलाश हरदावाले, हुकमचंद मंगल सोनकच्छ, शंकर गोयल इंदौर, तरूण अग्रवाल, वरूण अग्रवाल, राजेश कोल्ड्रिंक वाले, अनु अग्रवाल, सुनिता बिंदल, पद्मा अग्रवाल, मंजु गोयल, अनिता गोयल , वीणा महाजन, गरिमा अग्रवाल, पुष्पा बिंदल, मनोरमा गोयल, पद्मा बिंदल, दुर्गा पोरवाल, पूजा मंगल, रोमित गोयल सहित बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्ध वर्ग शोभा यात्रा में उपस्थित थे।
मंडी धर्मशाला पहुंचकर 108 यजमानों ने क्रम से श्रीमद भागवत की पूजा अर्चना की एवं विद्वान पंडितों ने मूल पाठ प्रारंभ किया।
अधिक मास में भागवत श्रवण से पितृो को मुक्ति मिलती है- पं. प्रदीप मिश्रा
किसी पुण्य से मनुष्य देह पाना सरल है किंतु इस देह से भजन करना कठिन । अधिक मास को पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। भगवान नरसिंह ने इसी मास में अवतार धारण कर वरदानी राक्षस हिरण्याकश्यप का वध किया था। इस माह को देवता और दानवों ने मल मास कर इसे अशुद्ध माना तब श्री हरि ने इसे पुरूषोत्तम मास का नाम देकर कहा कि इस माह में जो पुण्य कार्य करेगा उसके पुण्य में अधिक वृद्धि होगी। अगर इस माह पाप कर्म करेगा तो उसके पापों में भी वृद्धि होगी। किंतु पापी भी पुण्य कार्य करता है तो उसके पाप इस माह में क्षय हो जाते हैं। पुरूषोत्तम मास में श्रीमद भागवत कथा के श्रवण से अपने पितृों को मुक्ति मिलती है और वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
यह आध्यात्मिक विचार मंडी धर्मशाला में नवनिधि सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित 108 श्रीमद भागवत कथा महोत्सव में श्रीमद भागवत कथा के महत्तम का वर्णन करते हुए भागवत भूषण पं. प्रदीप मिश्रा ने कहे। आपने बताया कि भगवान कृष्ण द्वारका के अधिपति थे, राजा नहीं द्वारका राजा अर्नत की थी। अर्नत के पुत्र रेवत की पुत्री रेवती का विवाह बलराम से हुआ था और रेवती ने रूकमणी का कन्यादान किया था। इस कारण द्वारका श्रीकृष्ण को प्राप्त हुई थी। 108 विद्वान ब्राह्मणों से श्रीमद भागवत के मूल मंत्रों का प्रतिदिन पाठ होने से इस भागवत महोत्सव में भागवत के अठारह हजार श्लोकों का पाठ होगा। जिससे श्लोकों की उन्नतीस लाख चौवालिस हजार आवृति होगी। यहां पर 108 यजमानों द्वारा अपने पितृों की मुक्ति के लिये अलग अलग ब्राह्मणों से भागवत का मूल पाठ कराया जा रहा है। श्रीमद भागवत की पूजा अर्चना नवनिधि सामाजिक संस्था द्वारा की गई। आरती अग्रवाल महासभा द्वारा की गई। आज कथा ठीक तीन बजे होगी। आयोजकों द्वारा भीषण गर्मी को देखते हुए कथा पांडाल को एयरकूल्ड स्वरूप से सजाया गया है।

