मोहन वर्मा-देवास टाईम्स. कॉम
छटी शताब्दी से लेकर अब तक केे दुर्लभ सिक्के मौजूद है डॉ व्यास के संग्रह में
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कई व्यक्तियों को दुर्लभ वस्तुओं के संग्रह का शौक होता है और ऐसे शौकीन लोग अपने शौक को इस जुनून से निभाते है कि वो मिसाल बन जाये ।
देवास के इतिहास और पुरातत्व वेत्ता डॉ प्रदीप व्यास को ऐसे ही दुर्लभ और प्राचीन सिक्के और मुद्राएं संग्रहित करने का शौक है । उनके संग्रह में चार हज़ार से भी ज्यादा दुर्लभ और प्राचीन सिक्के संग्रहित हैं जो उन्होंने बीते चालीस पेंतालिस बरसों में इकठ्ठे किये है । जानकारों के अनुसार आज ये सिक्के बहुमूल्य है ।
व्यास जी के अनुसार सिक्को का प्रचलन गौतम बुद्ध के समय छटी शताब्दी से माना जाता है जिन्हें कार्षापण और आहत मुद्रा के नाम से जाना जाता था । उनके संग्रह में इन मुद्राओं से लेकर गुप्त कालीन, सुल्तान कालीन,मुगल कालीन,रियासत कालीन और अंग्रेजी हुकूमत के समय के सिक्के मौजूद है । सोने,चांदी,तांबे शीशे और कांसे के ये सिक्के आज अमूल्य है जो उन्होनें मध्य मालवा क्षेत्र में ही संग्रहित किये है। व्यासजी ने अपनी पीएचडी भी मध्य मालवा की मुद्रा और व्यापारिक केंद्र विषय पर की है ।