क्यों नहीं सीखे जा सकते स्वच्छता के गुर इंदौर से

मोहन वर्मा- देवास टाईम्स. कॉम

क्यों नहीं सीखे जा सकते स्वच्छता के गुर इंदौर से
————————————–
स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहर को स्वच्छ बनाने की जितनी भी कवायदें की जा रही है वे दृढ़ इच्छाशक्ति और चौकन्नी मॉनिटरिंग के अभाव में बेमानी सिद्ध हो रही है ।
इंदौर का बच्चा कहलाने वाला देवास यदि शहर की सफाई के कुछ गुर इंदौर से भी सीखे जो कि 40 लाख की आबादी के बावजूद भारत भर में स्वच्छता में नंबर एक आकर अपनी मिसाल कायम किये है तो शायद शहर में कुछ स्वच्छता नज़र आ सकती है ।
सफाईकर्मियों की लम्बी फ़ौज,घर घर कचरा संग्रहण और निगम के दावों के बावजूद शहर में साफ सफाई और स्वच्छता नज़र नही आती और जिम्मेदार आखिर क्या करें कि मुद्रा में बेबस नज़र आते है ।
कई कालोनियों में कचरा वाहन नियमित नही पहुंचता तो कहीं महज एक राउण्ड लेकर कैलाश खेर के भजन सुनाता निकल जाता है । नागरिक कचरे की थैलियां लेकर निगम को कोसते रह जाते है ।
खाली प्लाटों में फेंके जाने वाले कचरे को लेकर जिम्मेदारों के बयान और बाते तो समय समय पर सामने आती है मगर ठोस कार्यवाही नज़र नहीं आती । शहर में कई जगहों पर व्यवसायी ही चंद रुपये बचाने के लिए खाली प्लाटों में कचरा फेंक कर स्वच्छता मिशन की धज्जियां उड़ा रहे है ।
बदलते मौसम,बढ़ते स्वाईन फ्लू और डेंगू के खतरों के बीच बीमारियों का कारण बनती अस्वच्छता और गंदगी पर निगम की कोई ठोस कार्य योजना नज़र नही आ रही ।

Post Author: Vijendra Upadhyay

Leave a Reply