देवास। मप्र की शिवराज सरकार ने विसंगति पूर्ण पॉलिसी बनाकर किया अतिथि शिक्षकों का नुकसान किया है। अतिथि शिक्षक कपिल मोदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि विगत कई वर्षों से महज अल्प वेतनमान पर अतिथि शिक्षकों ने अपना बहुमूल्य कीमती समय शासकीय विद्यालयों में नौनिहालों को अध्यापन कार्य कराने में दिया। साथ-साथ विद्यालय से संबंधित सभी कार्य क्रियान्वित किए। मगर वर्तमान सरकार ने अतिथि हित में कोई ठोस कदम नहीं उठाए। जिससे की उनका भविष्य सुरक्षित हो सके ।
पूर्व में जो बोनस अंको घोषणा पत्र राज्यपाल की अनुमति से जारी किया था। वह बहुत ही न्याय संगत था यानी जिसने जितने वर्ष सेवा प्रदान की उसके अनुसार बोनस अंक की प्राथमिकता थी, परन्तु शासन ने बोनस अंको को हटाकर 25 प्रतिशत पद अतिथि शिक्षकों के लिए रिजर्व कर दिए जो अतिथि शिक्षकों के लिए श्राप साबित हुए। क्योंकि इतने कम पदो में 25 प्रतिशत पद उत्तीर्ण अतिथि अभ्यार्थियों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। इसमें बहुत कम ही अतिथि शिक्षक लाभान्वित हो सकें। बाकी वर्षों से सेवाएं दे रहे उत्तीर्ण अतिथि शिक्षक बेरोजगारी की राह पर है।
श्रीमंत ज्योतिर्रादित्य सिंधिया ने भी अतिथि शिक्षकों का मामला उठाकर ढाल और तलवार लेकर सडक़ पर आने का कहा था जो कि वर्तमान में मौन धारण किए हुए है। श्रीमंत सिंधिया एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों भावनात्मक रूप से सोचे की अतिथि शिक्षकों ने तो अपनी बहुमूल्य सेवा प्रदान कर अपना कार्य संपादित कर दिया। परन्तु आपने उन्हें परितोष के रूप में रोजगार तो नहीं पर बेरोजगार की राह पर खड़ा कर दिया है।
प्रदेश के समस्त अतिथि शिक्षिकों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि आगामी विधानसभा निर्वाचन के पूर्व अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण हेतु कोई ठोस नीति बनाई जाएं। जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके और आप गर्व से कह सके की हमने प्रधामंत्री द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव अवसर पर मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों को स्थाई रोजगार दिया।