अनारक्षित/आरक्षित सीटो के हिसाब से चयन होना चाहिए उम्मीदवारों को
देवास। नगरीय चुनाव को लेकर गर्मागर्मी है, हर कोई अपनी राजनीति चमकाने के लिये महापौर और पार्षद के लिये आवेदन भर रहा है।
लेकिन हम देखेगे की कि क्या उम्मीदवार सच मे आरक्षित या अनारक्षित सीट के हिसाब से आवेदन कर रहा है। शायद नहीं….
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा विभिन्न अनुपात में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ी जातियों (मुख्यत: जन्मजात जाति के आधार पर) के लिए सीटें आरक्षित की जाती हैं। यह जाति जन्म के आधार पर निर्धारित होती है और कभी भी बदली नहीं जा सकती। वही अनारक्षित का मतलब एक सामान्य श्रेणी से है।
देवास में देखा जाए तो यहां कुल 45 वार्डो में से 22 वार्ड आरक्षित है। जहां से इसी वर्ग के लोग आवेदन दे सकते है। लेकिन अन्य 23 वार्ड की बात करे तो वह अनारक्षित है….मतलब वहां सामान्य श्रेणी का अधिकार है। सामान्य श्रेणी के लोग ही इन वार्डो से आवेदन प्रस्तुत कर किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ सकता है।
लेकिन देवास के कितने ही वार्ड है जहां सामान्य सीट के बावजूद अन्य श्रेणी के लोग भी आवेदन कर रहे, वही कुछ वार्डो में महिला आरक्षित है तो वहां उनके पति या पुत्र उनके नाम से राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहे है। महापौर की बात कर तो वहां भी यही लड़ाई जारी है। महापौर की महिला अनारक्षित सीट होने के बावजूद कई अन्य श्रेणी के लोग भी दावेदारी कर रहै है। साथ ही कितने ही राजनितिक लोग अपनी पत्नियों के नाम से महापौर पति बनना चाहते है।
जबकि महापौर सीट के हिसाब से एक सामान्य स्वतंत्र महिला नेत्री की आवश्यकता है।