शिव महापुराण कथा के चतुर्थ दिन शिव विवाह का प्रसंग सुनाया

शिव महापुराण कथा के चतुर्थ दिन शिव विवाह का प्रसंग सुनाया

देवास/ ग्राम अचलूखेडी में शिव महा पुराण कथा के चतुर्थ दिवस में कथा पंडित जितेंद्र पाठक पाल कांकरिया वाले ने शिव विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए है, परंतु शिव ने विवाह भी कर संसार को गृहस्थ आश्रम में रहकर भी वैराग्य व योग धर्म का अनुशरण करने का तरीका दिया।कथा वाचक ने कहा कि शिव परिवार में भगवान के वाहक नन्दी, मां पार्वती का शेर, गणेश जी का मूसक और कार्तिकेय का वाहन मोर है। शिव के गले मे सर्प रहते हैं जो सभी विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस्य रखना ही शिव पुराण सिखाता है। भगवान के विवाह के वर्णन में मैनादेवी व हिमालय राज की पुत्री के रूप मे मां पार्वती का जन्म लेना। प्रारम्भिक काल मे शिव की तपस्या करना, उसी दौरान तारका सुर के आतंक को खत्म करने के लिए शिव का तन्द्रा भंग हुई। तब जाकर शिव पार्वती का विवाह हुआ। इसी दौरान भजनों में ऐ री सखी मंगल गाओ री, खुशियां मनाओ री। शुभ दिन आयो आज सखी री,मंगल आशा मन को सोहे। श्रद्धालुओं के बीच भजन की अमृत वर्षा हुई। कथा पंडाल में शिव बारात भी निकाली गई। इस दौरान आस पास के ग्रामीण जन मौजूद रहे।

Post Author: Vijendra Upadhyay