1008 भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर “वीर श्राविका सेवा सम्मान“

1008 भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर “वीर श्राविका सेवा सम्मान“

देवास की तीन श्राविकाओं का हुआ चयन

देवास। जैन समाज की एकता और नारी शक्ति का प्रतीक और वीर श्राविका सेवा सम्मान का आयोजन जैन एकता मंच राष्ट्रीय द्वारा किया । अध्यक्षता जैन एकता मंच राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष श्रीमती सुनीता जी काला के द्वारा की गई । आपने अपने विचार रखते हुए बताया कि धर्म हो या समाज हो महिला एक जुट हो जाए तो सभी की दशा और दिशा बदल सकती हैं । महिला चाहे किसी भी संस्था से हो पर यदि एकता के सूत्र में पिरोये जाए तो हर कार्य संभव है ।यही वह समय है जब महिलाएँ समाज में नेतृत्व करें हमें अपने नाम के आगे गोत्र की जगह जैन लिखकर अपना परिचय देना चाहिए। आपका आह्वान नारी शक्ति में विशेष ऊर्जा पैदा करता है| हम विश्व में 8 करोड़ में 55 लाख जैन भी भारी पड़ सकते हैं बशर्ते है कि हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा l तन, मन और धन से समर्पित होकर हमारे मंदिर और तीर्थ स्थानों की रक्षा करनी होगी। अनगिनत प्रतिभा की धनी जैन तीर्थंकर आदिनाथ जी के पुत्र भरत से जोड़ते हुए समाज़ को धर्म की मूल पहचान से जुड़ने की प्रेरणा दी। 1008 श्री महावीर जन्म कल्याणक के अवसर पर वीर श्राविका का सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस अवसर पर प्रदेश स्तर के लिए 30 नाम आए थे उसमें से तीन नाम राष्ट्रीय स्तर पर चयन किए गए । प्रथम नाम देवास की बेटी उपलब्धि जैन इंदौर, देवास से तीन वीर श्राविका के लिए चयनित किये गयेl प्रदेश स्तर पर श्रीमती शारदा जी जैन देवास का चयन किया गया l श्रीमती कल्पना जैन देवास, श्रीमती प्रेम बाला दीपचंद जी जैन के कार्यों की भी अनुमोदना की गई । सभी ने वीर श्राविका सेवा सम्मान की सराहना की और सभी बहनों को उत्कृष्ट कार्यों के लिए बधाई दी। कार्यक्रम की रूपरेखा व संयोजन एवं समन्वय मध्य प्रदेश अध्यक्षा बरखा विवेक जी बड़जात्या बाकानेर ने पूरी निष्ठा से निभाई। आपने समाज की महिलाओं को एक मंच पर लाकर नारी शक्ति का सशक्त प्रदर्शन किया। संचालन प्रदेश कार्याध्यक्ष मंजू बाला जैन देवास ने किया। कार्यक्रम की मीडिया प्रभारी झाबुआ जिला अध्यक्ष पुष्पा शाह व युवा प्रधान प्राची जी रही। यह आयोजन केवल एक सम्मान समारोह नहीं बल्कि जैन धर्म समाज की एकता और नारी शक्ति का जीवंत प्रमाण है। उक्त जानकारी राष्ट्रीय जैन एकता मंच जिला अध्यक्ष श्रीमती रचना तलाटी ने दी।

Post Author: Vijendra Upadhyay