तकनीक के साथ हमें चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत
अमलतास यूनिवर्सिटी में एम्स के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. रणदीप गुलेरिया ने छात्रों को संबोधित किया।
देवास। अमलतास यूनिवर्सिटी और अमलतास समूह संस्थान में एम्स के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. रणदीप गुलेरिया ने मेडिकल छात्रो को संबोधित किया। उन्होंने आज की चिकित्सा पद्धति के साथ कोरोनाकाल के अपने अनुभव के बारे में छात्रों के साथ संवाद किया। इस अवसर पर अमलतास और इंडेक्स समूह के संस्थापक चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया,चेयरमैन मयंक राज सिंह भदौरिया,
अमलतास यूनिवर्सिटी के प्रो.चांसलर डॉ. सलील भार्गव,कुलगुरु डॉ. शरद चंद्र वानखेड़े,डीन डॉ. ए. के पिट्ठावा ,रजिस्ट्रार, सभी कॉलेजों के प्राचार्य, सभी विभाग अध्यक्षों एवं सभी छात्र छात्राओं ने डा.रणदीप गुलेरिया को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
चिकित्सा की कला और विज्ञान को संतुलित कर सकते यह समझना बेहद जरूरी
इस अवसर पर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना काल के बाद हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में काफी विस्तार हुआ है। सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों के साथ मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए काफी जोर दिया जा रहा है। आज तकनीक ने हमारी चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र को काफी बदल दिया है। हमारे जीवन में जहां एआई और गूगल जैसे तकनीक का योगदान बढ़ता जा रहा है। वहीं आज के समय में तकनीक के साथ हमें चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें कॉलेज में में सिखाया गया था कि आप एक मरीज की जांच करें, निदान पर पहुंचे और उपचार शुरू करें। बढ़ती बीमारियों के इस दौर में हम चिकित्सा की कला और विज्ञान को कैसे संतुलित कर सकते यह समझना बेहद जरूरी हैं।ताकि हम रोगी को बेहतर देखभाल प्रदान करने में सक्षम हों, जो सुपर स्पेशिलिटी सर्विसेस और उस संबंध में डॉक्टरों को प्रशिक्षित करें। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आज अमलतास अस्पताल एक सुपर स्पेशलिटी सेंटर के रूप में काम कर रहा है। आज के समय में शहरों से ज्यादा ऐसे क्षेत्रों में ऐसे अस्पतालों की बहुत जरूरत है जो ग्रामीण मरीजों के लिए एक मददगार की भूमिका निभाए।उन्होंने मेडिकल छात्रों से कहा कि हम चिकित्सा की उस कला को खो रहे हैं जिसमें आप रोगी की जांच करते हैं और उससे बात करते हैं। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि कभी-कभी आप रोगी की बात सुनकर ही उससे बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। हम उससे दूर चले गए हैं और कई तरह के परीक्षण करने का आदेश देते हैं। कभी-कभी आपको यकीन नहीं होता कि कोई रिपोर्ट सही है या नहीं, लेकिन आप आगे बढ़ जाते हैं। जांच करवाने पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है। उन्होंने नई तकनीक और एआई के बारे में कहा कि सोशल मीडिया और एआई की वजह से हम ज्यादा जागरूक हो रहे हैं। मुझे लगता है कि यह हमारी जीवनशैली में आए बदलाव से भी जुड़ा है। अब, हम जिस तरह का आहार लेते हैं, वह पहले जैसा नहीं है। अब शारीरिक गतिविधि का तरीका अलग है।युवा पीढ़ी में गतिविधियां कम हो गई है और वे अपना ज्यादातर समय इंटरनेट या फ़ोन पर बिता रहे हैं।