मोहन वर्मा – 9827503366
मकर संक्रांति पर उत्तरायण में प्रवेश करते सूर्य की स्वर्णिम किरणों से सुख और स्वास्थ्य प्राप्त करने के पर्व पर अत्यंत आत्मिक क्षणों में प्रकृति से जुड़कर पारम्परिक त्यौहार मनाने का अवसर पद्मविभूषण एवं मूर्धन्य शास्त्रीय गायक स्व.पंडित कुमार गन्धर्व के आवास भानुकुल में रविवार को रहा जब सुरों की मिठास संग मनी मकर संक्रांति.
ख्यात भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित कुमार गन्धर्व की 12 जनवरी को होने वाली उनकी 26 वीं पुण्यतिथि पर उन्हें स्वरांजली देने का ये कार्यक्रम 14 जनवरी को उनके आवास भानुकुल पर आयोजा था कुमार गन्धर्व प्रतिष्ठान ने जहाँ प्राकृतिक वातावरण में और सुबह की गुनगुनी धूप में बड़ी संख्या में उपस्थित संगीत रसिकों ने दो सभाओं के माध्यम से संगीत का रसास्वादन लेते हुए कुमारजी का स्मरण किया गया
कार्यक्रम की पहली सभा की शुरुवात हुई कोलकाता से आये युवा शास्त्रीय गायक ओंकार दादरकर के गायन से जिन्होंने कुमारजी का स्मरण करते हुए कहा कि कुमारजी के निवास पर बैठकर गाना यानि भगवान् के मंदिर में सुर साधना करना है उन्होंने विलंबित तीन ताल में राग अहीर भैरव से अपने गायन की शुरुवात की और “तेरो जियो सुख पावे “ सुनाया.उसके बाद राग देसी में निबद्ध बंदिश सुनाई. अपनी सभा का समापन विदुषी गिरिजादेवी की कम्पोजीशन मीरा के भजन “ मेरो मन राम ही राम रटे” से किया हारमोनियम पर पर विवेक बनसोड तथा तबले पर रामेन्द्र सिंह सोलंकी ने संगत की.
कलाकारों का स्वागत प्रतिष्ठान के भुवनेश ने किया.
दूसरी सभा में ध्रुपद की विरल और दुर्लभ गायकी लेकर भोपाल से आये उमाकांत और रमाकांत गुंदेचा बंधुओं ने अपना गायन प्रस्तुत किया. गुरु शिष्य परम्परा में दीक्षित और शास्त्रीय गायन में पद्मश्री से नवाजे गये गुंदेचा बंधुओं ने पारम्परिक आलाप लेते हुए राग मदमात सारंग से सभा की शुरुवात की और सुरताल की एक बंदिश सुनाई उसके बाद ध्रुव ताल में सप्तक प्रस्तुत किया. इसके बाद प्रस्तुत तानसेन की रचना “ तुम रब,तुम साहेब,तुम ही हो करतार ने श्रौताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. राग चारू पर आधारित कबीर के भजन झीनी..झीनी..झीनी..चदरिया से आपने अपनी सभा का समापन किया. पखावज पर आपके साथ संगत की अनुजा बोरोड़े ने.कलाकारों का स्वागत कलापिनी कोमकली ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया .