कुमारजी की पुण्यतिथि पर भानुकुल में गूंजेगी स्वरलहरियां

मोहन वर्मा – 9827503366
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ख्यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पंडित कुमार गन्धर्व की 26 वी पुण्यतिथि पर रविवार 14 जनवरी को उन्हें स्वरांजलि देते हुए देश के ख्यात शास्त्रीय गायकों द्वारा दी जाने वाली प्रस्तुति से उनके निवास भानुकुल पर स्वर लहरियां गूंजेगी.प्रतिवर्ष की तरह कुमारजी की पुण्यतिथि पर उनकी सुपुत्री और सुशिष्या कलापिनी एवं सुपौत्र भुवनेश द्वारा संचालित कुमार गन्धर्व प्रतिष्ठान द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

08 अप्रैल 1924 को बेलगाम कर्णाटक में जन्में कुमारजी का मूल नाम शिवपुत्र सिद्धरमैया कोमकली था. मात्र दस बरस की उम्र में अपने चमत्कारी गायन से तात्कालिक समय के बड़े बड़े संगीत मनीषियों को मंत्रमुग्ध कर देने वाली गायकी के कारण उन्हें कुमार गन्धर्व की उपाधि से विभूषित किया गया. युवावस्था में टीबी की बीमारी के चलते मालवा की आबोहवा में स्वास्थ्य लाभ लेने देवास आ बसे कुमारजी ने देवास को एक विशिष्ठ पहचान दी. मालवी लोकगीतों से प्रभावित मालवा के कबीर कुमारजी को 1977 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर संगीत में कुमार गन्धर्व सम्मान की भी शुरुवात की 12 जनवरी 1992 को देवास में ही अपने नश्वर शरीर का त्याग किया.

रविवार 14 जनवरी सुबह 10 बजे से होने वाली इस संगीत सभा की शुरुवात कोलकाता के ख्यात संगीत गायक ओंकार दादरकर के गायन से होगी. 1977 में मुम्बई में जन्मे ओंकार दादरकर ने संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा ख्यात शास्त्रीय गायक मानिक वर्मा और राम देशपांडे से प्राप्त की और देश विशेष में अपनी विशिष्ठ गायन शैली से अपनी पहचान बनाई. 2007 में संगीत शिरोमणि पुरस्कार, 2008 में आदित्य विक्रम बिरला पुरस्कार, 2010 में बिस्मिल्लाखा युवा पुरस्कार विजेता ओंकार दादरकर को दिल्ली के सीसीआरटी स्कालरशिप से भी नवाज़ा जा चुका है

संगीत सभा की दूसरी प्रस्तुति भोपाल के ख्यात ध्रुपद गायक उमाकांत और रमाकांत गुंदेचा बंधुओं की होगी. उज्जैन से संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा हासिल करने के बाद 1981 से भोपाल में ख्यात ध्रुपद गायक उस्ताद फरीदुद्दीन डागर एवं मोहिदुद्दीन डागर से ध्रुपद की बारीकियां सीखी. तुलसी,निराला,पद्माकर को अपनी विशिष्ठ शैली में गाते हुए गुंदेचा बंधुओं ने संगीत श्रौताओं के बीच अपनी गायकी से विशिष्ठ पहचान बनाई है 1985 में म.प्र. शासन की फेलोशिप, 1993 में उस्ताद अल्लाउद्दीन खां फेलोशिप, 1994 में संस्कृति अवार्ड,एवं 1998 में प्रतिष्ठित कुमार गन्धर्व अवार्ड विजेता रहे गुंदेचा बंधुओं ने देश विदेश के प्रतिष्ठित मंचों से संगीत महोत्सवों में प्रस्तुति के साथ साथ आकाशवाणी,दूरदर्शन से भी अनेक बार प्रस्तुतियां दी है.

Post Author: Vijendra Upadhyay

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