पूछता है देवास- शंकरगढ़ गौशाला में गायों की मौत का जिम्मेदार कौन?

देवास टाइम्स/ शंकरगढ़ स्थित एक गौशाला में शुक्रवार को करीब एक दर्जन गायों ने तड़पते हुए अपनी जान दे दी। यह सबकुछ शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते हुआ है, क्योंकि 15 अगस्त को ही देवास टाइम्स ने शासन-प्रशासन का ध्यान इस गौशाला की ओर आकर्षित किया था और प्रशासन को बताया था कि गौ शाला में गायों की स्थिति बदतर है, किंतु फिर भी प्रशासन के किसी भी नुमाइंदे ने वहां जाकर देखना भी उचित नहीं समझा था। इसी का परिणाम हुआ कि 5 दिन बाद 12 गायों ने दम तोड़ दिया।

15 अगस्त 2020 की तस्वीर जो की शंकरगढ़ की पहाड़ी से ली गयी थी

इस गोशाला में नगर निगम द्वारा पकड़ी गई गायो को छोड़ा जाता है। जो की बीमार और उम्र दराज गाये होती है। जो गाय चलने में सक्षम है उन्हें गोशाला संचालक द्वारा रोज सुबह शंकरगढ़ पहाड़ी पर छोड़ दिया जाता है जो घूम फिर कर अपना पेट भर लेती है। वही जो गाय बीमार होती है वह दिनभर कीचड़ में फंसी रहती है उन्हे कोई खिलाने पिलाने वाला भी नहीं होता है, बाद में ऐसी गाये दम तोड़ देती है जिन्हे बाद में कसाई खानो में बेच दिया जाता है। इस और आज तक न प्रशासनिक अधिकारियो का ध्यान गया न ही कभी राजनीती दलों का ध्यान गया।

कल की घटना के बाद कुछ लोगो ने नए रूप में अवतार लिया है और इसके लिए प्रशासन और दुपट्टे धारी नेताओ को जिम्मेदार बताया। वही सूत्रों से पता पड़ा है की इस गौशाला की जमीन शासकीय है और उस पर गोशाला के नाम से कब्जा संचालक ने कर रखा है। वही कुछ लोगो ने उस पर जाँच की मांग भी की है। वही इस घटना के बाद राजनीती दलों ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनिति शुरू कर दी है।

पर इन सब बातो से यह सवाल उठता है की शंकरगढ़ गौशाला में गायों की मौत का जिम्मेदार कौन?

वैसे विचारणीय बात यह भी है की आरोप लगाने वाले अवतारित पुरुषो , करुणा भाव के नाम से चंदाखोरी करने वाली संस्थाए, गाय के नाम से राजनीती करने वाले, रोटी खिलाकर फोटोबाजी करने वाले लोग, गाय को गाय तब तक समझते है जब तक वो दूध देती है, यह सभी अभी तक कहा थे जिनके सामने ऐसी घटनाये अभी तक आम थी।

वर्तमान की तस्वीर

Post Author: Vijendra Upadhyay