- रुचिका उपाध्याय, देवास
कोरोना काल मे हर चीज बदल गई है, लोगो के रहन सहन का तरीका हो या कार्य करने का तरीका हो सब वर्तमान में बदल गया है।
ऐसे में स्कूल की स्थिति से भी सभी अवगत है। स्कूल के बच्चे घर बैठकर अपनी शिक्षा कैसे -तैसे अर्जित कर रहे है। जो कि सिर्फ एक पाठ्यक्रम को पूरा करने की दौड़ का हिस्सा है। जिसे कैसे -तैसे स्कूल को भी पूरा करना है, ताकि उन्हें कुछ आर्थिक सहायता मिलती रहे ओर वह अपना ख़र्च निकाल सके। कितने ही स्कूल जो यह नही कर पा रहे है वह वर्तमान में बन्द हो चुके है।
वही दुसरी ओर बच्चो का साल न बिगड़े इसलिये अभिभावकों को भी उस पढ़ाई को करवाना जरूरी है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि
- क्या बच्चा सिर्फ ऑनलाइन क्लास के भरोसे अपनी पूरी पढ़ाई कर लेगा?
- क्या वह अनुशासन और नैतिकता सीख पायेगा? शायद नही क्योकि वह घर पर अपने अभिभावको की एक सीमा तक ही सारी बाते मानता है।
स्कूल जाता है तो वह अनुशासन, समय पर अपना कार्य करना, शारीरिक, संगीत, कला, व्यवहारिक शिक्षा सीखता है। जो घर बैठे यह सब सीखना सम्भव नहीं है।
हा घर पर घर के बड़े बुजुर्गों के बीच किस्से कहानिया में व्यवहारिक ज्ञान तो सुन लेगा पर उसे अपनी दिनचर्या में पालन कर सीख नही पायेगा।
ऐसे में यह कोरोना काल जब तक पूरी तरह खत्म नहीं होता छोटे बच्चो को घर ही रहना है। पिछले दो शिक्षा सत्रों में छोटे बच्चो का अनुशासन और नैतिकता, व्यवहारिक ज्ञान के पाठ का नुकसान हुआ है। जो आगे चलकर इस नुकसान की पूर्ति करना जरूरी रहेगा। इसलिए अभिभावकों को भी जरूरी है कि ऑनलाइन क्लास के साथ – साथ इन बिंदुओं पर भी कार्य कर, बच्चो के दिनचर्या में यह सब सिखाए ओर आने वाले उनके भविष्य को उज्जवल मनाएं।