अमलतास विश्वविद्यालय में एचएमपीवी कार्यशाला संपन्न
देवास – अमलतास यूनिवर्सिटी, देवास के अंतर्गत संचालित अमलतास इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंसेज में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य HMPV संक्रमण, इसके लक्षण, बचाव, रोकथाम और प्रबंधन पर जागरूकता फैलाना था। इस कार्यशाला का उद्घाटन अमलतास यूनिवर्सिटी के माननीय कुलपति डॉ. शरदचंद्र वानखेड़े एवं रजिस्ट्रार श्री संजय रामबोले द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, डॉ. संगीता तिवारी,डॉ. नीलम खान,डॉ. योगेंद्र भदौरिया, डॉ. अनीता घोड़के,डॉ. अंजलि मेहता, डॉ. पीटर जैस्पर युथम, डॉ. मोहसिन ख़ान , डॉ. स्नेहा युथम, डॉ. नेहा गौर शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही। कार्यशाला विशेष अतिथि डॉ. अमरीन शेख, (जिला क्षय अधिकारी, देवास, मध्य प्रदेश) ने भी इस अवसर पर संबोधित किया। उन्होंने बताया कि HMPV का संक्रमण किस प्रकार फेफड़ों को प्रभावित करता है और यह किन-किन आयु वर्गों के लिए अधिक घातक साबित हो सकता है। इस जागरूकता कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ताओं ने HMPV संक्रमण के वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तृत व्याख्यान दिया।
डॉ. रामनाथ के. ने HMPV वायरस की संरचना, संक्रमण के फैलने के कारण और इसके वैश्विक स्तर पर प्रभाव के बारे में बताया। डॉ. मुनेश शर्मा ने HMPV से प्रभावित रोगियों की जांच, लक्षणों की पहचान और आवश्यक चिकित्सकीय उपायों पर प्रकाश डाला। डॉ. पीटर जैस्पर युथम ने नर्सिंग पेशेवरों की भूमिका पर चर्चा की, जिसमें HMPV से संक्रमित रोगियों की देखभाल और अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण के उपाय शामिल थे।प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी इस कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के संकाय सदस्यों और छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जैसे – HMPV संक्रमण के लक्षण और निदान। इस संक्रमण के फैलने के प्रमुख कारण संक्रमण की रोकथाम और टीकाकरण की संभावनाएँ अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल HMPV से जुड़ी नवीनतम शोध और वैज्ञानिक खोजें।कार्यशाला में अलग-अलग कॉलेजों के प्राचार्यों ने भी भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए ।
कार्यशाला के दौरान, विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया कि HMPV एक महत्वपूर्ण श्वसन संक्रामक वायरस है जो विशेष रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में यह निमोनिया और ब्रोंकाइटिस का कारण बन सकता है।विशेषज्ञों ने इस संक्रमण की जल्द पहचान और रोकथाम के लिए प्रभावी रणनीतियों पर जोर दिया, जिसमें हाथ धोने की आदतें, मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी बनाए रखना और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखना शामिल हैं। इस कार्यशाला का समापन एक सवाल-जवाब सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने HMPV से जुड़ी विभिन्न शंकाओं का समाधान प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में आयोजक नर्सिंग प्रिंसिपल डॉ. संगीता तिवारी ने सभी विशेषज्ञ वक्ताओं, मुख्य अतिथियों, संकाय सदस्यों और छात्रों को इस कार्यशाला को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। अमलतास विश्वविद्यालय के चेयरमैन श्री मयंक राज सिंह भदौरिया जी द्वारा बताया गया की इस आयोजन ने छात्रों और शिक्षकों को HMPV संक्रमण के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान की और उन्हें इस बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यशाला का संदेश स्पष्ट था – “जागरूकता ही बचाव है।”


