सच्ची शुद्धता बाहरी नहीं, बल्कि अंतःकरण की निर्मलता से प्राप्त होती है-आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत

सच्ची शुद्धता बाहरी नहीं, बल्कि अंतःकरण की निर्मलता से प्राप्त होती है-आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत

देवास। आनन्द मार्ग का तीन दिवसीय धर्म महा सम्मेलन, आनन्द नगर पुरूलिया पश्चिम बंगाल में दिनांक 23 से 25 मई 2025 तक सम्पन्न हुआ।आनन्द प्रचारक संघ देवास के सेवा धर्म मिशन के भुक्तिप्रधान हेमेन्द्र निगम काकू ने बताया कि श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अपने संबोधन में कहा कि आज के भौतिकतावादी युग में यह प्रश्न अत्यंत प्रासंगिक है हमें क्या ग्रहण करना चाहिए? क्या केवल धन, पद और सुख-सुविधाएँ ही उपादेय हैं, या वे मूल्य जिन्हें अपनाकर जीवन सार्थक बनता है सत्य, करुणा, धैर्य, त्याग और आत्मसंयम जैसे गुण ही वास्तव में ग्रहणीय हैं। जब तक हम बाह्य भोगों में सुख खोजते रहेंगे, आत्मिक शांति दूर रहेगी।
उन्होंने कहा कि आनंद मार्ग के सिद्धांतों के अनुसार गुरु वचन, धर्म, शुद्ध मन और विवेक के माध्यम से ही जीवन में आनंद और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। गुरु का वचन सत्यज्ञान, सच्चा प्रेम और मोक्ष का आधार है। धर्म जीवन का उद्धारक मार्ग है, जो सत्संग, सेवा और साधना से पूर्ण होता है। सच्ची शुद्धता बाहरी नहीं, बल्कि अंतःकरण की निर्मलता से प्राप्त होती है।
सच्चा पंडित वही है, जिसका मन अहं ब्रह्मास्मि के भाव से ओतप्रोत हो और जो विवेक से सही-गलत में भेद कर आत्मा की उन्नति करता हो। जीवन का सबसे बड़ा विष अज्ञान है, जो अधर्म, मोह और असत्य से उत्पन्न होता है। आनंद मार्ग में इस अज्ञान का नाश और सत्य के प्रकाश का प्रयास किया जाता है।उक्त महा सम्मेलन में केंद्रीय प्रचार सचिवआचार्य कल्याणमित्रा अवधूत, आचार्य ब्रह्मबुद्धनंद अवधूत, आचार्य नभातीतानंद अवधूत, आआचार्य नित्यशिवानंदअवधूत, आचार्य हृदेश ब्रम्हचारी, आचार्य शांतवृतानंद अवधूत, आचार्य पुण्येशानन्द अवधूत,आचार्य अनिर्वानंद अवधूत, आचार्य शुभद्रानंद अवधूत, आचार्य प्रज्ञानन्द अवधूत आदि का कार्यक्रम में विशेष योगदान रहा। आनंद मार्ग का यह दर्शन हमें सिखाता है कि गुरु वचन का पालन और धर्म के पथ पर चलना ही जीवन में सच्ची शुद्धि, विवेक और अंततः आनंद तथा मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है।

Post Author: Vijendra Upadhyay