देवास। रामकथा मर्मज्ञ संतश्री राजेश्वरानंदजी ने रामचरित मानस प्रवचन श्रृंखला के चौथे दिन कहा कि मनुष्य जीवन मे समय समय पर आने वाले नवग्रह के अंधेरों में प्रभु के अनुग्रह के उजाले से कोई ग्रह प्रतिकूल नही हो सकता ।
जननी जनक बंधु सूत दारा
तनु धनु भवन सुह्रद परिवारा ।
सबके ममता ताग बटोरी
मम पद मनहि बांध बरी डोरी ।।
मानस के इस भावपूर्ण दोहे को केन्द्र में रखकर संत श्री ने कहा कि प्रभु को भाई,बंधु,माता ,पिता,
मानकर हम उनसे संबंध जोड़कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते है ।
मनुष्य जीवन मे कर्म प्रधान है,कर्मों का फल व्यक्ति कर्मों के आधार पर भोगता है मगर ईश कृपा से इनसे बच सकता है इसलिए प्रभु के शरणागत होना जरूरी है ।
गीताभवन परिसर में चल रही पांच दिवसीय इस प्रवचनमाला में मंत्री दीपक जोशी,विधायक गायत्री राजे पवार,कवि सत्यनारायण सत्तन, गुरु सक्सेना, मनोहर मनोज(कटनी), राजीव खण्डेलवाल, दुर्गेश अग्रवाल,भरत चौधरी,आलोक सिंह भदौरिया सहित बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने रामकथा का रसपान किया ।