शराब के लिए पैसे नहीं देने व मारपीट करने तथा अपहरण करने के आरोपियों मिली सजा

शराब के लिए पैसे नहीं देने व मारपीट करने तथा अपहरण करने के आरोपियों मिली सजा

एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास व दो 2000 के अर्थ दंड से दंडित किया, प्रथम अपर सत्र न्यायालय देवास के न्यायाधीश का निर्णय

देवास। जिला अपर लोक अभियोजक अशोक चावला ने बताया कि दिनांक 15 6 2024 को अवधेश विश्वकर्मा सुबह वह कंपनी के काम से सोनकच्छ गया हुआ था जब वह रात्रि को करीब 11:00 बजे कंपनी द्वारा दी गई लाल रंग की बाइक पैशन प्रो से वापस देवास आ रहा था तब रात को 12:00 के लगभग भोपाल रोड स्थित बाईपास वाइन शॉप के पास हाईवे पर स्थित दुकान पर सिगरेट लेने के लिए रुका जहां वह दो मोटर साइकिल पर 7 लड़के आए और उसे मां बहन की गंदी-गंदी गालियां देकर पास में बुलाया वह नहीं गया तो मोटरसाइकिल पर से दो लड़के उतरकर उसके पास आए और मां बहन की गाली दी और कहा कि सुनाई नहीं दे रहा है क्या ।जिसमें से एक लड़का न्यू देवास का रहने वाला विशाल मालवीय उर्फ चुलबुल ने उसे मां बहन की गंदी गंदी गाली दी और बोला कि हमारे इलाके में रह रहा है यहां रहना है तो दारू के लिए रुपए दे, उसने मना किया कि उसके पास रुपए नहीं है उसे गाली मत दो तब उनके दो और साथी आए और उसे गाली देते हुए बोले कि म*** बहुत तेज चल रहा है उसे जबरन उठाकर उनकी डीलक्स बाइक पर बैठा लिया और उसे थप्पड़ मारने लगे विशाल मालवी उसके पीछे बैठ गया और उसने पिस्तौल उसकी कनपटी के पास लगा दी और बोला कि म*** चुपचाप बैठा रे वरना गोली मार दूंगा इसके बाद तीन लड़कों को वहीं छोड़कर चार लड़के दो बाइक से उसे लेकर भोपाल रोड तरफ थोड़ी दूर पर बाएं तरफ खेत में ले गए और पीछे से उसके हाथ बांध दिए और चारों ने उसके साथ लात घुसो तथा बेल्ट से मारपीट की फिर वह खेत से अपनी जान बचाकर भाग कर सड़क पर आया भागने में उसका मोबाइल भी गिर गया था उसके बाद वह भोपाल रोड bypass पर वाइन शॉप के वहां पहुंचा तथा चौकीदार से उसने अपने हाथ की रस्सी खुलवाई और फिर घटना के संबंध में अपने कंपनी में काम करने वाले लोगों को सूचना दी और उसके बाद थाना बैंक नोट प्रेस में रिपोर्ट की। उक्त प्रकरण में तीन आरोपी लखन उर्फ विशाल उर्फ चुलबुल उर्फ विलन मालवीय, हर्ष उर्फ आदेश जोशी तथा गौरव मालवीय तीनों को एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2000 रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया। शेष तीन आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी सरकारी वकील अशोक चावला द्वारा की गई तथा सहयोग कोड मुंशी आरक्षक विष्णु द्वारा किया गया।

Post Author: Vijendra Upadhyay