श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर में हुई विशाल धर्मसभा
देवास। सर्वोच्च गुण संपन्न जिन शासन को जन्म से प्राप्त कर लेने के पश्चात जिन शासन के प्रति हमारी खुमारी और आसक्ती कितनी होना चाहिये इसका हम कभी आंकलन नहीं कर पाए। हमें जो सर्वोत्तम प्राप्त हुआ है उसकी कीमत का आंकलन नहीं कर पाना ही हमारे भटकाव का मुख्य कारण है। जिन शासन वह है जिसको समवशरण में देशना देने के पहले तीर्थंकर परमात्मा भी नमन करते हैं। देेवी देवता भी जिस पंथ और दर्शन को पाने के लिये सदैव लालायित रहते हैं वह है हमारा जिन शासन। लेकिन हम भौतिक एवं सांसारिक वस्तुओं की घोर मृग तृष्णा के चलते हमारा निर्धारित पथ मार्ग भटक कर मानव जीवन के मुख्य उद्देश्य से विमुख हो गए हैं। जिन शासन देव सांसारिक सुख से लेकर मोक्ष सुख तक देने में सक्षम भी है और समर्थ भी। हमारे शास्त्रों के अनुसार जिन शासन बिना की धर्म आराधना सद्गति नहीं देे सकती और जिन शासन युक्त का पाप भी दुर्गती नहीं दे सकता।
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर तुकोगंंज रोड पर आयोजित महती धर्मसभा को उपदेशित करते हुए यह बात आचार्य श्री कीर्तिचंद सुरीश्वरजी म.सा.ने कही आपके साथ आचार्य श्री कीर्तिदर्शन सुरीश्वरीजी एवं साधु साध्वी मंडल का भी नगर पदार्पण हुआ। इस सिद्धांत को उदाहरण देकर विस्तृतरूप से बताते हुए पूज्यश्री ने कहा कि एक सती स्त्री के मन में अपने पति परमेश्वर के प्रति ही पूर्ण समर्पण भाव रहता है, लेकि न संसार के अन्य पुरूषों के प्रति वह अपमान भाव नहीं रखती, सम्मानपूर्वक ही व्यवहार करती हैै। इसी प्रकार से हमें भी जिन शासन देव के प्रति पूर्ण समर्पण एवं अडिग आस्था का भाव रखना चाहिये, क्योंकि यही हमारा तारणहार है। शास्त्रोक्त इतिहास के अनुसार जिन शासन के संपर्क में आने वाले खूनी भी मुनि बन जाते है और भोगी भी योगी बनकर मोक्ष पद को प्राप्त कर लेते हैं। इसी अनुसार हमें भी जिन शासन के प्र्रति सच्ची श्रद्धा एवं समर्पण का भाव रखते हुए सांसारिक वस्तुओं के मोह से दूर होकर जिस मोक्ष एवं मुक्ति उद्देश्य को लेकर मानव जीवन प्राप्त हुआ है उसी को आत्मसात करते हुए हमारी आत्मा को कल्याण मार्ग पर ले जाना चाहिये। इस अवसर पर अशोक जैन मामा, विलास चौधरी, शैलेन्द्र चौधरी, दीपक जैन, भरत चौधरी, प्रेमचंद शेखावत, राजेन्द्र जैन गौतमपुरा, राकेश तरवेचा, संजय कटारिया, शरद तरवेचा, संजीव चौधरी, टोंक सकलश्रीसंघ सहित बड़ी संख्या में महिला समुदाय उपस्थित था।

