किशोर अवस्था में बालिकाओ को सबसे अधिक सजग रहने की आवश्यकता – डॉ खरे

बालसभा में बालिका एवं स्वास्थ्य विषय पर किया संबोंधित
देवास। मानव शरीर ईश्वर की अनुपम देन है। ईश्वर की इस अद्भूत रचना को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना हमारी न केवल नैतिक एवं प्राकृतिक जिम्मेदारी है वरन सर्वांगीण विकास की आधाभूत आवश्यकता भी है। हमारा स्वास्थ्य हमोर आचार, विचार, व्यवहार एवं संयम पर निर्भर करता है। भोजन की गुणवत्ता का शरीर के लिए उतना ही महत्व है, जितना परीक्षा के बाद परिणाम का। किशोर अवस्था में बालिकाओ को सबसे अधिक सजग रहने की आवश्यकता है। बाजार विशेषत: खुली रखी सामग्री का उपयोग बिल्कुल नही करना चाहिए। इस अवस्था में होने वाले परिवर्तन से घबराना नही चाहिए। यदि हम अभी से नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की आदत डाल ले तो भविष्य में किसी गंभीर बीमारी से बचाव हो सकता है।
शास. चिमनाबाई क.उ.मा.वि. में शनिवार को बालसभा में बालिका एवं स्वास्थ्य विषय पर विचार व्यक्त करते हुए सुप्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संध्या खेरे ने विद्यालय की छात्राओ को स्वस्थ रहने के लिए प्रोजेक्टर के माध्यम से विस्तार समझाया। विभिन्न बीमारियो में रखी जाने वाली सावधानिया पर चर्चा की। डॉ. खरे ने अनुवांछिक बीमारियो के बारे में भी छात्राओ को जानकारी दी। विद्यालय की छात्रा रविना सोलंकी, कविता दामके, ऋषिता धानक, जया चांगेसिया, शीतल बगाना, अलका गुनाया, कुसुम नागर और पायल पण्डे सहित अनेक छात्राओ ने स्वास्थ्य संबंधि प्रश्न पूछे, जिनके डॉ. खरे ने समुचित उत्तर दिए। प्राचार्य एफबी मानेकर ने उत्तम स्वास्थ्य के महत्व को समझाते हुए पढ़ाई के साथ समय संयमित आहार की उपयोगिता बताई। काार्यकम मेें रश्मि दुबे, जयश्री पिंपले, राखी धाड़ी, अमृता चौधरी, अर्चना कहार, सविता पवार, प्रिया शर्मा आदि उपस्थित थे। संचालन नीलम पटेरिया ने किया। आभार आदिल पठान ने व्यक्त किया। संयोजक प्रसून पंड्या थे। तकनीकी सहयोग मनोज बजाज का था।

Post Author: Vijendra Upadhyay

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