देवास।आनंद मार्ग प्रचारक संघ के सचिव आचार्य शांतव्रतानन्द अवधूत ने आनन्द मार्ग के प्रवर्तक तारक ब्रह्म श्री श्री आनंदमूर्ति जी के जन्मशताब्दी वर्ष 21, आनन्द पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित त्रिदिवसीय (दिनांक 04 से 06 जून 2021तक)धर्म महासम्मेलन के तीसरे दिन 6 जून को देवास एवं इसके आसपास के जिलो उज्जैन, इंदौर, सीहोर, भोपाल, होशंगाबाद गुना ,शिवपुरी आदि जिलों के लगभग1,000 से भी ज्यादा आनंदमार्गीयो ने विश्वस्तरीय धर्म महा सम्मेलन में माइक्रोसॉफ्ट के टीम एप द्वारा आध्यात्मिक आनन्द लिया। अंतिम दिन पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानन्द अवधूत जी ने साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि परमपुरुष अविकार सत्ता है। वह चाहे तो विष को अमृत और अमृत को विष कर सकते हैं।वे किसी भी अवस्था में सुख-दुख से प्रभावित नहीं होते है। मनुष्य उसी सत्ता को जानने के लिए अनेकानेक धातों- प्रतिघातों के मध्य से गुजर कर मानव देह धारण करता है। देह प्राप्त होने पर भी वह उस देह का उपयोग आध्यात्मिक साधना के लिए नहीं करता है तो वह निश्चय ही मूर्ख है क्योंकि वह उस प्राप्त क्षमता का उपयोग नहीं कर रहा है। आत्म स्वरूप को अनुभूत करना ही आत्मज्ञान है। इस आत्म ज्ञान को प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा पैदा करनी होगी और उस परम सत्ता परम पुरुष के प्रति प्रेम पैदा करनी होगी। इसी साधना और प्रक्रिया के द्वारा आत्मज्ञान प्राप्त करके मुक्ति लाभ करना बुद्धिमान मनुष्य की पहचान है।
उक्त आध्यात्मिक कार्यक्रम का लाभ डॉ अशोक शर्मा, प्रभुलाल लबबाना, अरविंद सुगंधी, बालकृष्ण माहेश्वरी,विकास दलवी, शिवसिंह ठाकुर, हरीश भाटियाआदि ने लाभ लिया। आचार्य अनिर्वानन्द अवधूत ने बताया कि इस अवसर पर आनन्द मार्ग युनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल के केन्द्रीय सचिव आचार्य अभिरामानन्द अवधूत के रिपोर्ट के अनुसार करोना महामारी काल में भारत सहित विश्व के अनेक देशों में 25 लाख से अधिक जरूरतमंदों तक भोजन एवं मेडिकल सेवा अमर्ट के स्वयं सेवकों द्बारा पहुंचाया गया है।अमर्ट के बैठक में आचार्य चित्तस्वरूपानन्द अवधूत महासचिव आनन्द मार्ग प्रचारक संघ ने कहा कि हर आनन्द मार्गी को अपने आप को सुरक्षित रखते हुये पीड़ित मानव की सेवा के लिए तत्पर रहना है।उक्त जानकारी भुक्तिप्रधान दीपसिंह तंवर एवं हेमेन्द्र निगम ने दी।
