स्वतंत्रता आंदोलन के सच्चे, पूर्ण और प्रेरक इतिहास को जानने का अवसर अमृत महोत्सव है- श्री नंदकुमार

देवास। देश के सभी भागों में चले लंबे स्वतंत्रता संघर्ष और बलिदानों से स्वराज की प्राप्ति हुई है। स्वत्व के बोध के कारण ही बंग-भंग आंदोलन को सफलता मिली और स्वत्व के बोध में कमी के कारण ही देश का त्रासद विभाजन हुआ। ये उद्गार प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने राजाभाऊ महाकाल सेवा न्यास द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के समापन अवसर पर व्यक्त किये। स्वराज से स्वतंत्रता विषय पर प्रकाश डालते हुए श्री नंदकुमार ने स्वराज शब्द के ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए कि उपनिषदों में वर्णित स्वराज की अवधारणा परम् मुक्ति से होती हुई। शिवाजी महाराज के कृतित्व में दिखती है। आधुनिक काल में स्वराज के राजनैतिक पक्ष को जोरदार तरीके से बाल गंगाधर तिलक ने जनता के बीच रखा। महर्षि अरविंद ने विशद स्वराज की आवश्यकता पर बल दिया।

नंदकुमार ने स्वराज अमृत महोत्सव को स्वतंत्रता आंदोलन के वास्तविक और प्रेरक इतिहास को समझने, शोध करने और जन-जन के बीच ले जाने का आह्वान करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने चतुराई पूर्वक भारत के इतिहास के उज्जवल पक्ष को छिपा कर हीनबोध विकसित करने वाला इतिहास लिखा। जिसे कालांतर में वामपंथी इतिहासकारों ने और अधिक विकृत किया। स्वतंत्रता आंदोलन में केरल से कश्मीर और लाहौर से ढाका तक अनेक लोगों ने बलिदान किया। पूर्तगालियों, फ्रेंच और डचों के साथ उनके आगमन के साथ ही संघर्ष प्रारंभ हुए एवं दक्षिण भारत में उन्हें हराया। आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक और सभी क्षेत्रों में भारत के स्वत्व पर आधारित तंत्र की स्थापना करना ही स्वतंत्रता आंदोलन की मूल प्रेरणा और लक्ष्य था।

अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत के सच्चे, पूर्ण एवं प्रेरक इतिहास को जन-जन के बीच ले जाकर भारत को हीनभावना से बाहर निकाल कर और स्वत्व पर आधारित शक्तिशाली भारत के निर्माण के संकल्प का आह्वान श्री नंदकुमार ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाधीश चंद्रमौली शुक्ला ने की। न्यास के न्यासी अशोक जाधव के साथ मुख्य अतिथि दीपसिंह जुनेजा एवं अमृत महोत्सव जिला समिति के सहसंयोजक सुदेश सांगते भी मंच पर उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम् के साथ हुआ। उक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख अर्जुन वर्मा ने दी।

Post Author: Vijendra Upadhyay