बच्चो को गुलाम न बनाये, पर उन्हें संस्कारवान तो जरूर बनाये

कुछ दिनों पहले एक बुद्धिजीवी की पोस्ट वायरल हो रही थी, जिसमे उन्होंने लिखा कि यूक्रेन से ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीय छात्रों को लाया गया। जिसमे कुछ छात्रों ने एक केंद्रीय मंत्री के द्वारा किये स्वागत पर उनके नमस्ते का जवाब नही दिया। जो कि उन छात्रों ने कुछ गलत नही किया। उनका कहने का आशय था कि अब हम 70 सालो की गुलामी से बाहर आये है, आगे मोदी की जयजयकार कर फिर से गुलाम नहीं बनना चाहते है। कोई बात नहीं आप गुलाम न बनो, लेकिन किसी का आभार व्यक्त करना किसी की गुलामी करना नहीं होता है। वेसे भी गुलामी तो पीढ़ी दर पीढ़ी वाली होती है…। जो लोग आज भी कर रहे है…


लेकिन हमें यह भी देखना है कि हमे उस गुलामी से बाहर निकाला किसने, यूक्रेन से भारतीय छात्रों को बाहर निकाला किसने…..एक भारत वह भी था, जब भारत में ही मर रहे कश्मीर पंडितों को हम बचा नही पाए थे….न कोई अवार्ड वापिस कर पाए…न धरना दे पाए…न ही तथाकथित लोगो द्वारा उसका विरोध हुआ…

अगर यही बच्चे किसी का अभिवादन स्वीकार नहीं कर सकते तो यह कैसे संस्कारी हो गए…इतने ही अहसानफरामोश रहेगे तो, भविष्य में यह देश को भी क्या देंगे..? यह डिग्री लेने भी अपने स्वार्थ के लिये ही गए थे…? न कि देश की सेवा के लिये गए थे….खेर हमारे देश के बच्चे थे उनको सुरक्षित लाना भी सरकार की जिम्मेदारी थी। ऐसा आज के भारत का नायक मानता है। जो उसने कर दिखाया भी…लेकिन हमारे संस्कार यह है कि कोई हमारी मदद करता है, तो *हम उसका आभार व्यक्त जरूर करे….. चाहे वो हमारा कोई दुश्मन ही क्यो न हो..
लेकिन आपने अपने लेख में गुलामी  छोड़ने का वर्णन तो कर दिया, लेकिन खुद ने अपनी मानसिकता वाली गुलामी नहीं छोड़ी..एक समय अटल जी ने विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस सरकार की ओर से  विश्वपटल पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था… उन्होंने कई बार देशहित के निर्णयो में कांग्रेस सरकार का समर्थन कर उनका मनोबल बढ़ाया था….तो क्या अटल जी इस बात पर कांग्रेस के गुलाम हो गए थे..? लेकिन आज का विपक्ष क्या कर रहा है वह भी पूरा देश देख रहा है….
तो श्रीमान जी आप गुलाम न बनो ओर न ही अपने बच्चो को बनाओ.. पर बच्चो को संस्कार तो जरूर दो, की कोई आपके काम आया है, तो आप उसका आभार व्यक्त जरूर करे…

विजेंद्र उपाध्याय, देवास

Post Author: Vijendra Upadhyay