सिर की हड्डी से 3 इंच नीचे, मस्तिष्क के मध्य से निकाला गया दुर्लभ ट्यूमर; 6 घंटे चला जटिल ऑपरेशन

सिर की हड्डी से 3 इंच नीचे, मस्तिष्क के मध्य से निकाला गया दुर्लभ ट्यूमर; 6 घंटे चला जटिल ऑपरेशन

देवास। अमलतास अस्पताल के मस्तिष्क रोग विभाग ने देवास के चिकित्सा इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए सबसे जटिल और दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। यह ऑपरेशन 6 घंटे तक चला, जिसमें सिर की हड्डी से 3 इंच नीचे जाकर, मस्तिष्क के मध्य भाग से एक दुर्लभ किस्म के ट्यूमर को सावधानीपूर्वक निकाला गया।

पीड़ित, लीलाबाई (50 वर्ष) पिछले चार सालों से लगातार सिरदर्द, उल्टी और चलने में असमर्थता जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही थीं। एमआरआई जांच में पता चला कि उनके मस्तिष्क के मध्य हिस्से में एक बड़ा ट्यूमर (कोलाइड सिस्ट) है। ट्यूमर के कारण मस्तिष्क के पानी का बहाव पूरी तरह से रुक गया था, जिससे उनके दिमाग में पानी भर गया था, जो स्थिति को बेहद गंभीर बना रहा था। अमलतास मस्तिष्क रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. राकेश रघुवंशी ने बताया कि यह ट्यूमर कोलाइड सिस्ट नामक एक दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर था, जो मस्तिष्क के तीसरे वेंट्रिकल में पाया जाता है। ऑपरेशन की जटिलता यह थी कि ट्यूमर को दिमाग के दाएं और बाएं हिस्सों (खोपड़ी) के बीच जगह बनाकर निकालना पड़ा। इसमें मस्तिष्क की अत्यंत महीन खून की नलियों को बचाना सबसे बड़ी चुनौती थी। डॉ. रघुवंशी ने बताया, “इस तरह के बड़े और जटिल ऑपरेशन के बाद ज़्यादातर मरीज लंबे समय तक वेंटिलेटर पर ही रहते हैं, लेकिन अमलतास की अनुभवी टीम की वजह से मरीज एक दिन के भीतर ही वेंटिलेटर से बाहर आ गईं। सफल ऑपरेशन और अस्पताल की गहन देखभाल के कारण मरीज ने तेज़ी से रिकवरी की। केवल पांच दिन बाद लीलाबाई को अस्पताल से चलते हुए छुट्टी दे दी गई। इस सफल ऑपरेशन को करने वाली टीम में न्यूरोसर्जन डॉ. राकेश रघुवंशी, डॉ. विजय भदौरिया ,डॉ. राजपाल राजपूत, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. प्रेमकृष्णन, और  लक्की जाट, एवं नैना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चेयरमैन ने दी बधाई

अमलतास अस्पताल के चेयरमैन मयंक राज सिंह भदौरिया, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महावीर खंडेलवाल, निदेशक डॉ. प्रशांत द्वारा इस उपलब्धि पर टीम को बधाई दी गई । चैयरमेन सर द्वारा बताया गया की “यह ऑपरेशन किसी चमत्कार से कम नहीं है। दिमाग की खोपड़ी को पूरी तरह खोलकर, इतने नाज़ुक हिस्से में हस्तक्षेप कर सही करना हर किसी की बात नहीं है। 6 घंटे चले इस ऑपरेशन की सफलता के लिए सभी डॉक्टरों और टीम  बधाई के पात्र है ।

Post Author: Vijendra Upadhyay